नई पुस्तकें >> रौशनी महकती है रौशनी महकती हैसत्य प्रकाश शर्मा
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‘‘आज से जान आपको लिख दी, ये मेरा दिल है पेशगी रखिये’’ शायर के दिल से निकली गजलों का नायाब संग्रह
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तेरे उमीद, तेरी चाह, इक निगाह बहुत
तेरे उमीद, तेरी चाह, इक निगाह बहुत
है मेरे वास्ते इतनी भी रस्मो-राह बहुत
निकलती क्यूँ नहीं दिल से ये फाँस यादों की
सुनाई क्यूँ नहीं देती मेरी कराह बहुत
ये सरबराहों की फ़ितरत से हो गया मुमकिन
कि जगमगाती है ग़ैरत की क़त्लगाह बहुत
तुम अपने सर पे ये सारा जहान ले जाना
कि हम फ़कीरों को है अपनी ख़ानकाह बहुत
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