नई पुस्तकें >> रौशनी महकती है रौशनी महकती हैसत्य प्रकाश शर्मा
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‘‘आज से जान आपको लिख दी, ये मेरा दिल है पेशगी रखिये’’ शायर के दिल से निकली गजलों का नायाब संग्रह
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बेख़ता हूँ न दे सज़ा मुझको
बेख़ता हूँ न दे सज़ा मुझको
कर दे मिस्रा कोई अता मुझको
झूठ कहता है जो ये कहता है
ज़हर करता है फ़ायदा मुझको
कस रही है लगाम प्यासों पर
शहर लगता है करबला मुझको
वो तेरा लम्स, वो तेरा जादू
घेर लेता है बारहा मुझको
मैं शरीफ़ों से बच के आया हूँ
मयक़दे से न तू उठा मुझको
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