नई पुस्तकें >> रौशनी महकती है रौशनी महकती हैसत्य प्रकाश शर्मा
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‘‘आज से जान आपको लिख दी, ये मेरा दिल है पेशगी रखिये’’ शायर के दिल से निकली गजलों का नायाब संग्रह
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घर महकने लगा है खुश्बू से
घर महकने लगा है खुश्बू से
आपका सिलसिला है खुश्बू से
क्यू न गुलशन की ख़ैर मांगें हम
हमको सब कुछ मिला है खुश्बू से
जैसे रहते हों लोग जंगल में
किस क़दर फ़ासला है खुश्बू से
खुश्बुओं ने उसे सँवारा है
जो भी आकर मिला है खुश्बू से
आहटों से हूँ उसकी वाक़िफ़ मैं
दिल उसे जानता है खुश्बू से
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