नई पुस्तकें >> रौशनी महकती है रौशनी महकती हैसत्य प्रकाश शर्मा
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‘‘आज से जान आपको लिख दी, ये मेरा दिल है पेशगी रखिये’’ शायर के दिल से निकली गजलों का नायाब संग्रह
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बहकी-बहकी अगर हवा न चले
बहकी-बहकी अगर हवा न चले
है कहाँ दर्द कुछ पता न चले
याद की रहगुज़र पे लाज़िम है
तू चले, कोई दूसरा न चले
दिल से कहता हूँ भूल जा उसको
काश! दिल पर मेरा कहा न चले
उसकी खुशबू ही मेरी साँसें हैं
गर ये खुशबू का सिलसिला न चले
लाख चाहूँ भी तो कहाँ मुमकिन
पाँव के साथ आबला न चले
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