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रौशनी महकती है
रौशनी महकती है
प्रकाशक :
भारतीय साहित्य संग्रह |
प्रकाशित वर्ष : 2020 |
पृष्ठ :112
मुखपृष्ठ :
ईपुस्तक
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पुस्तक क्रमांक : 15468
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आईएसबीएन :978-1-61301-551-3 |
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5 पाठक हैं
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‘‘आज से जान आपको लिख दी, ये मेरा दिल है पेशगी रखिये’’ शायर के दिल से निकली गजलों का नायाब संग्रह
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सर पे चढ़ेगी धूप, कभी शाम आएगी
सर पे चढ़ेगी धूप, कभी शाम आएगी
ज़िन्दादिली सफ़र में बहुत काम आएगी
करने उदासियों का अदब आएगी ज़रूर
याद उनकी देख लेना सरे-शाम आएगी
रुसवाइयां तो तुझको करेंगी ही सुर्ख़रू
लेकर वफ़ा भी इश्क़ में इल्ज़ाम आएगी
तू भी कज़ा को ज़ीस्त कहेगा मेरी तरह
दीवानगी कभी जो तेरे नाम आएगी
दामन न दे सके किसी आँसू को हम अगर
तो फिर हमारी ज़िन्दगी किस काम आएगी
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पुस्तक का नाम
रौशनी महकती है
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