|
नई पुस्तकें >> रौशनी महकती है रौशनी महकती हैसत्य प्रकाश शर्मा
|
5 पाठक हैं |
||||||
‘‘आज से जान आपको लिख दी, ये मेरा दिल है पेशगी रखिये’’ शायर के दिल से निकली गजलों का नायाब संग्रह
55
आपको, हमको, सभी को मुँह चिढ़ा जाता है वो
आपको, हमको, सभी को मुँह चिढ़ा जाता है वो
आइनों के सामने बेख़ौफ़ आ जाता है वो
दूध की नदियाँ बहीं, मछली उड़ी, परबत चले
कैसे-कैसे जादुई क़िस्से सुना जाता है वो
कुछ को राहत, कुछ को तमग़े, और कुछ को और कुछ
एक ही दौरे में कितने काम कर जाता है वो
रास्ता कोई हो, कोई मरहला, कोई मक़ाम
वो नहीं रुकता कहीं, हद से गुज़र जाता है वो
फूल कुछ तैयार हो लें, आए गुलशन में बहार
खुद चला आएगा, यूँ भी, खुद चला आता है वो
0 0 0
|
|||||







