नई पुस्तकें >> रौशनी महकती है रौशनी महकती हैसत्य प्रकाश शर्मा
|
0 5 पाठक हैं |
‘‘आज से जान आपको लिख दी, ये मेरा दिल है पेशगी रखिये’’ शायर के दिल से निकली गजलों का नायाब संग्रह
54
हर ग़म को अपना माने हैं
हर ग़म को अपना माने हैं
दीवाने तो दीवाने हैं
दिल के छोटे-से कमरे में
दुनिया भर के अफ़साने हैं
साक़ी कैसे प्यास बुझा दे
उसके अपने पैमाने हैं
प्यास यहाँ घायल होती है
जाने कैसे मयख़ाने हैं
कितने लोगों से मिलना है
कितने ज़ख्म अभी खाने हैं
0 0 0
|
लोगों की राय
No reviews for this book