नई पुस्तकें >> रौशनी महकती है रौशनी महकती हैसत्य प्रकाश शर्मा
|
0 5 पाठक हैं |
‘‘आज से जान आपको लिख दी, ये मेरा दिल है पेशगी रखिये’’ शायर के दिल से निकली गजलों का नायाब संग्रह
हलफ़ उठा के ये कहता हूँ...
अपने कहे हुये को लेकर मुझे ये मुग़ालता क़तई नहीं है कि मैंने कोई कारनामा कर डाला है। पिछले 25-30 वर्ष में परवान चढ़ी, ग़ज़लों से मुहब्बत की छुटपुट मगर ईमानदार कोशिशें भर हैं ये अश्आर। जि़न्दगी में तरतीब कभी रही नहीं, सो ख़याल आया कि कम-अज़-कम अहसास की बिखरी हुई शुआओं को रौशनदान दे दिया जाये ताकि सनद रहे और अपनों के काम आये।
मैं कोई साधु-महात्मा तो हूँ नहीं कि अपने मन में बैठे लालची से आपकी बात न कराऊँ। ये लालची कहता है कि काश! जैसे मैंने अच्छी-अच्छी ग़ज़लें सुनी हैं, बेहतरीन शे’रों पर दीवाना होता रहा हूँ, उसी तरह इस संग्रह का एक भी शे’र, एक भी मिसरा पढ़ने वालों को पसन्द आ जाये तो ये भी फूला न समाये। इतना लालच तो बनता ही है...।
बैंक की नौकरी करते हुये संग्रह मुक़म्मल कर पाना बहुत आसान नहीं था परन्तु मेरे दोस्तों की दुआओं, शुभचिन्तकों की हौसला अफ़ज़ाई से ये मुमक़िन हो सका। दिल सलामत दिलदार हज़ार...।
अन्त में निवेदन कर दूँ कि इस किताब के कुछ पन्ने नितान्त व्यक्तिगत हैं, लेकिन मेरे लिये बहुत ज़रुरी। उम्मीद है पाठक इसे समझेंगे।
|