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रौशनी महकती है

सत्य प्रकाश शर्मा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2020
पृष्ठ :112
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 15468
आईएसबीएन :978-1-61301-551-3

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‘‘आज से जान आपको लिख दी, ये मेरा दिल है पेशगी रखिये’’ शायर के दिल से निकली गजलों का नायाब संग्रह


23

मुख़्तसर हो गया फ़साना भी


मुख़्तसर हो गया फ़साना भी
और दुश्मन हुआ ज़माना भी

सबसे नज़रें चुरा के आना भी
हमने देखा है तेरा जाना भी

है सितम उनका याद आना भी
मौत है उनको भूल जाना भी

साथ कब तक निभाएंगे आँसू
ख़त्म हो जाएगा ख़ज़ाना भी

जिससे मिलकर हमें भुलाया है
हमको उससे कभी मिलाना भी

चोट भी मैंने दिल पे खाई है
और मुझको है मुस्कुराना भी

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