नई पुस्तकें >> रौशनी महकती है रौशनी महकती हैसत्य प्रकाश शर्मा
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‘‘आज से जान आपको लिख दी, ये मेरा दिल है पेशगी रखिये’’ शायर के दिल से निकली गजलों का नायाब संग्रह
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लाख कहता हूँ कि धोख़े खाएगा
लाख कहता हूँ कि धोख़े खाएगा
दिल ये कहता है कि देखा जाएगा
रोक लो महबूब को जाने न दो
दूर जायेगा, खुदा हो जाएगा
है ख़िज़ाँ को किसलिए इतना ग़ुरूर
शाख़ पर पत्ता नया आ जाएगा
तीरगी में तुम न साया ढूंढना
सब मुहब्बत का भरम खुल जाएगा
पहले रोने का शऊर आ जाए तो
मुस्कुराने का सलीक़ा आएगा
आंधियों में क्या है तिनके का वजूद
सोचते थे आशियाँ बन जाएगा
आईना बन जाऊँ लेकिन ख़ौफ़ है
मुझसे वो नाहक़ ख़फ़ा हो जाएगा
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