नई पुस्तकें >> प्रेरक कहानियाँ प्रेरक कहानियाँडॉ. ओम प्रकाश विश्वकर्मा
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सभी आयुवर्ग के पाठकों के लिये प्रेरक एवं मार्गदर्शक कहानियों का अनुपम संग्रह
कृतज्ञता
यह उन दिनों की बात है जब नेपोलियन बोनापार्ट फ्रांस की जनता का सर्वाधिक प्रिय और आदरणीय पात्र बना हुआ था। इटली, मिस्र आदि देशों को जीत कर जब वह लौट कर पेरिस आया तो वहाँ की जनता ने उसका स्वागत किया। रास्ते सजाये गये, बन्दनवार बाँधे गये, स्वागत द्वार बनाये गये, पुष्प वर्षा हुई। उसकी शोभायात्रा निकाली गयी। बहुमूल्य उपहार लेकर सामन्त, सरदार और सेनाधिकारी सब मार्ग में कतार बना कर उसके स्वागत में खड़े हो गये।
इसी भीड़ में एक जगह एक वृद्धा भी उसके स्वागत की लालसा से खड़ी थी। उसके हाथ में एक बोतल और गिलास था। बोतल में बकरी का दूध भरा हुआ था। उस वृद्धा का नाम था कामिला सारी। वह नेपोलियन की बचपन की धाय थी जिसनेबाल्यावस्था में नेपोलियन का लालन-पालन किया था। उसको सन्देह था कि आज का नेपोलियन उसको पहचानेगा कि नहीं, फिर भी वह उत्साह से मार्ग में उसका स्वागत करने के लिए खड़ी थी।
जब नेपोलियन उधर से निकलने लगा तो ज्यों ही उसकी दृष्टि उस वृद्धा पर गयी, उसने उसको पहचान लिया। वह भीड़ को चीरता और दौड़ता हुआ उस वृद्धा के पास आया। उसने आदरपूर्वक उसका आलिंगन किया, अभिवादन किया। लोग यह सब देख कर आश्चर्य कर रहे थे। तभी नेपोलियन की दृष्टि उसके हाथ में पकड़ी बोतल और गिलास पर गयी। उसने बुढ़िया से बोतल और गिलास ले लिया और बोतल का दूध गिलास में डाल कर पी गया।
उसने उन लोगों को उसका परिचय कराते हुए कहा, "यह मेरी दूसरी माता हैं, मेरी धाय है।"
उसने यह परिचय गर्व सेकराया । सामन्तों और सेनापतियों के बीच में उसको उस बुढ़िया का आदर, अभिवादन करने में संकोच नहीं हुआ था। उसने अपने गले में पड़ा रत्नहार अपनी धाय को प्रदान किया।
कालान्तर में जब नेपोलियन फ्रांस का बादशाह बना तो राज्यारोहण समारोह के अवसर पर उसने कामिला सारी को आदरपूर्वक निमन्त्रित किया। उसने वहाँ उपस्थित राजा-महाराजाओं से उसका परिचय कराया और उसे बड़ा मान-सम्मान दिया। उस अवसर पर भी उसने कामिला सारी को अनेकानेक उपहारों से लाद दिया और उसके जीवनयापन की व्यवस्था करवा दी।
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