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प्रेरक कहानियाँ

डॉ. ओम प्रकाश विश्वकर्मा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2020
पृष्ठ :240
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 15422
आईएसबीएन :9781613016817

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सभी आयुवर्ग के पाठकों के लिये प्रेरक एवं मार्गदर्शक कहानियों का अनुपम संग्रह

अपना हाथ जगन्नाथ

एक गाँव के पास खेत में सारस पक्षी का एक जोड़ा रहता था। वहीं उनके अण्डे भी रखे थे। जब अण्डे बढ़े तो उनसे बच्चे निकले। किन्तु बच्चों के बड़े होकर उड़ने योग्य होने से पहले ही खेत की फसल पक गयी। सारस बडी चिन्ता में पड़ गये। किसान के खेत काटने से पहले ही सारसके जोड़े को अपने बच्चों के साथ वहाँ से चले जाना चाहिए था। किन्तु बच्चे उड़ने की स्थिति में नहीं थे। सारस ने बच्चों से कहा, "हमारे न रहने पर यदि कोई खेत के पास आये तो उसकी बात सुननाऔर याद रखना।"

एक दिन सारस बच्चों के लिए दाना-पानी लेकरशाम के समय जब लौटा तो बच्चों ने कहा, "आज किसान आया था।"

"फिर आगे क्या हुआ?"

"वह खेत के चारों ओर घूमता रहा। एक-दो स्थानों पर खड़ा होकर देर तक खेत को घूरता रहा। वह अपने साथी से कह रहा था, 'खेत अब कटने योग्य हो गया है। आज गाँव जाकर लोगों से कहूँगा कि वे आकर मेरा खेत काट दें।"

उसके साथी ने कहा, 'हाँ, ठीक है। फसल कटने लायक हो गयी है।' यह कह कर वे चले गये।

सारस ने बच्चों से कहा, "तुम लोग डरो मत। खेत अभी नहीं कटेगा। खेत कटने में अभी देर है।"

कुछ दिनों बाद शाम को सारस जब दाना-पानी लेकर लौटा तो देखा कि बच्चे घबराए हुए हैं। वे कहने लगे, "पिताजी! अब हम लोगों को यह खेत तुरन्त छोड़ देना चाहिए।"

"क्यों?"सारस नेकहा तो बच्चे बोले, "आज किसान फिर आया था। वह कह रहा था किउसके गाँव के लोग बड़े स्वार्थी हैं। अगर ये मेरा खेत कटवाने का कोई प्रबन्ध करने में सहायता नहीं करते हैं तो कल मैं अपने भाइयों को लाकर खेत कटवा लूँगा।"

बच्चों की बात सुनकर सारस निश्चिन्त होकर बच्चों के पास बैठ गया। उनसे कहने लगा, "अभी खेत नहींकटेगा। दो-चार दिन में तुम लोग ठीक तरह से उड़ने लायक हो जाओगे। अभी डरने की आवश्यकता नहीं है।"

इस प्रकार कुछ दिन और निकल गये। सारस के बच्चे उड़ने योग्य हो गये थे। फिर एक दिन शाम को जब सारस दाना-पानी लेकर वापस आया तो बच्चे कहने लगे, किसान यहाँ आकर हम लोगों को झूठ-मूठ डराता है। इसका खेत तो कटेगा नहीं। वह आज भी आया था और कहता था कि मेरे भाई मेरी बात नहीं सुनते। सब बहाना बनाते हैं। मेरी फसल का अन्न सूख कर झड़ रहा है। कल बड़े सबेरे आकर मैं स्वयं खेत काटना आरम्भ कर दूंगा।

यह सुन कर सारस घबरा गया। किन्तु उसके बच्चे उड़ने लायक हो गये थे। उसने कहा, "बच्चो! जल्दी करो। अभी अँधेरा नहीं हुआ है। तुम्हारी माँ भी आ गयी है। चलो दूसरे स्थान पर उड़ चलो। कल खेत अवश्य कट जायेगा।"

बच्चे बोले, "क्यों पिताजी! अब तक तो आप कहते थे कि अभी खेत नहीं कटेगा और आज की बात सुनकर आप कहने लगे कि कल खेत अवश्य कटेगा?"

सारस ने कहा, "किसान जब तक गाँव वालों और भाइयों के भरोसे था, खेत के कटने की आशा नहीं थी। जो दूसरों के भरोसे काम छोड़ता है, उसका काम नहीं होता किन्तु जो स्वयं काम करने को तैयार होता है, उसका काम नहीं रुकता है। किसान जब खुद कल खेत काटने वाला है, तब तो खेत कटेगा ही।"

सारस के जोड़े ने अपने बच्चों को साथ लिया और वहाँ से उड़कर किसी दूसरे सुरक्षित स्थान पर पहुँच गया।  

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