नई पुस्तकें >> प्रेरक कहानियाँ प्रेरक कहानियाँडॉ. ओम प्रकाश विश्वकर्मा
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सभी आयुवर्ग के पाठकों के लिये प्रेरक एवं मार्गदर्शक कहानियों का अनुपम संग्रह
एम. एस-सी., पी.एच-डी.
बी.ए.एम.एस.
मैं सम्पूर्ण जीवन आभारी रहूँगा अपनी धर्मपत्नी का जिन्होंने हमारे जीवन को सजाने सँवारने का कार्य तो किया ही, साथ में हिन्दी साहित्य में जो प्रेरणाएं, सुझाव कहानियों का संकलन छपाकर हमें साहित्यकार बनाया। यद्यपि हमारा अध्ययन हिन्दी, अंग्रेजी, संस्कृत एवं उर्दू भाषा का है। किन्तु जो हमारे जीवन में हिन्दी की छाया पड़ी वह देन हमारी धर्मपत्नी की ही है।
एक बार अमावस्या का पर्व था। सरसैया घाट कानपुर में गंगा स्नान का अवसर प्राप्त हुआ। मैं अपने पिता जी के साथ सरसैया घाट गंगा-स्नान को पहुँचा। राज कुमारी अपनी नानी के साथ स्नान हेतु पहुँचीं। उस समय मैं कक्षा नौ में श्री रामलला उ. मा. विद्यालय रावतपुर में पढ़ता था। कु. राज कुमारी कैलाश नाथ बालिका विद्यालय में कक्षा 6 की छात्रा थीं। संयोग से पंडा जी के एक ही तख्त पर बैठने का अवसर मिला। स्नान के बाद प्रसाद जिस कागज पर दिया गंगा जी पूजन के बाद कागज में एक कहानी थी। हम दोनो लोगों ने प्रेरणादायक कहानी पढ़ी। कु. राज कुमारी जी ने कहा कि कई कहानियाँ जो नानी जी हमें सुनाती हैं मैं लिख लेती हूँ। हमारे घर चलिए मैं देती हूँ। उसमें से कुछ कहानियाँ, जो पुस्तक आप के हाथ में है उसमें लिखी हैं। यह मैं उन्हीं की देन मानता हूँ।
- डॉ. ओ३म् प्रकाश विश्वकर्मा
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