नई पुस्तकें >> प्रेरक कहानियाँ प्रेरक कहानियाँडॉ. ओम प्रकाश विश्वकर्मा
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सभी आयुवर्ग के पाठकों के लिये प्रेरक एवं मार्गदर्शक कहानियों का अनुपम संग्रह
पाँच तत्वों का संघात
एक बार एक ग्रीक राजा बौद्ध भिक्षु नागसेन के पास आया। राजा ने उससे पूछा, "महाराज! आप कहते हैं कि हमारे व्यक्तित्व में कोई वस्तु ऐसी नहीं है जो स्थिर हो तो फिर यह बताइए कि वह क्या है जो संघ के सदस्यों को आज्ञा देता है, पवित्र जीवन व्यतीत करता है, निर्वाण प्राप्त करता है, पाप-पुण्य का फल भोगता है? आपको संघ के सदस्य नागसेन कहते हैं, यह नागसेन कौन हैं?
"क्या सिर के बाल नागसेन हैं?"
"ऐसा नहीं है।"
"क्या ये दाँत, माँस, मस्तिष्क आदि नागसेन हैं?"
"नहीं।"
"फिर क्या आकार, वेदनाएँ अथवा संस्कार नागसेन हैं?""नहीं।"
"क्या ये सब वस्तुएँ मिलकर नागसेन हैं? या इनके बाहर कोई वस्तु है जो नागसेन है?"
"नहीं।"
"तो फिर नागसेन कुछ नहीं है। जिसे हम अपने सामने देखते हैं और नागसेनकहते हैं, वह नागसेन कौन है?"
नागसेन ने राजा से कहा, "राजन्! क्या आप पैदल आये हैं?"
"नहीं, रथ पर।"
"फिर तो आप जरूर जानते होंगे कि रथ क्या है। क्या यह पताका रथ है?"
"नहीं।"
"क्या ये पहिये या धुरी रथ हैं?"
"नहीं।"
"फिर क्या ये रस्सियाँ या चाबुक रथ हैं?"
"नहीं।"
"क्या इन सबके बाहर कोई चीज है जो रथ है?"
"नहीं।"
"तो फिर रथ कुछ नहीं हैं। जिसे हम अपने सामने देखते हैं और रथ कहते हैं, वह क्या है?"
"ये सब साथ होने पर ही उसे रथ कहते हैं।"
यह सुन कर भिक्षु नागसेन ने कहा, "राजन्! ठीक है, ये सब वस्तुएँ मिल कर ही रथ हैं। इसी प्रकार पाँच तत्वों के संघात के अतिरिक्त और कुछ नहीं है।"
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