नई पुस्तकें >> सूक्ति प्रकाश सूक्ति प्रकाशडॉ. ओम प्रकाश विश्वकर्मा
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1000 सूक्तियों का अनुपम संग्रह
असावधान सफल नहीं हो सकता; घमंडी अपने उद्देश्य को पूरा नहीं कर सकता।
'असम्भव' शब्द केवल मूर्खों के कोश में मिलता है।
कौवे में पवित्रता, जुआड़ी में सत्य, सर्प में सहनशीलता, कामिनी में काम-शान्ति, नामर्द में धीरज, शराबी में तत्वचिन्ता और राजा में मैत्री किसने देखी और सुनी है?
सम्भव असम्भव से पूछता है, "तुम्हारा निवास स्थान कहाँ है"? जवाब आता है "नामद के स्वप्नों में"।
जो अपने उच्चकुल का अभिमान करता है और दूसरों को नीची निगाह से देखता है वह असत्पुरुष है।
दूसरों के साथ वैसा ही सलूक करो जैसा तुम चाहते हो कि दूसरे तुम्हारे साथ करें। किसी के साथ कोई ऐसी बात न करो जो तुम नहीं चाहते कि वह तुम्हारे साथ करे।
अगर तुम्हरा अहंकार चला गया है तो किसी भी धर्म-पुस्तक की एक पंक्ति भी बाँचे बगैर, व किसी भी मन्दिर में पैर रखे बगैर तुमको जहाँ बैठे हो वहीं मोक्ष प्राप्त हो जायगा।
मुर्गा समझता है कि सूरज बांग सुनने के लिए ही उगता है।
आदमी जब कपड़े पहन लेता है तब ऐसा मालूम होता है मानों वह कभी नंगा ही नहीं था और जब अमीर हो जाता है तब ऐसा मालूम होता है मानो वह गरीब ही नहीं था।
अहिंसा के अर्थ हैं, अपने भाषण से या कृति से किसी का भी दिल न दुखाना, किसी का अनिष्ट तक न सोचना।
दयावान + समता+ निर्भयता = अहिंसा।
अहिंसा का अर्थ है अनन्त प्रेम और उसका अर्थ है कष्ट सहने की अनन्त शक्ति।
अहिंसा का लक्षण तो सीधे हिंसा के मुहँ में दौड़ जाना।
तुम्हारा अज्ञान ही तुम्हारा वास्तविक पाप है। वही जो दुःख लाता है।
अज्ञान मन को रात है, लेकिन ऐसी रात जिसमें न तारे न चाँद है
मोह और स्वार्थ अज्ञान के पुत्र हैं, अतएव अज्ञानी मनुष्य ही दुष्ट और कायर होते हैं।
अज्ञान को क्रियाशील देखने से भयंकर कुछ भी नहीं है।
दिलेर हमला आधी लड़ाई जीतने के बराबर है।
विषम स्थिति में पड़ कर मूखे आदमी तकदीर को दोष देने लगता है, लेकिन अपने कर्मदोष को नहीं जानता।
अकेली आँख ही यह बतला सकती है कि हृदय में घृणा है या प्रेम।
मनमानी आँख, अपवित्र हृदय को परिचायक है।
मुझे आजाद रहकर रास्ते का कुत्ता होना मंजूर है, मगर गुलाम बनकर तीन लोक का मालिक होना मंजूर नहीं।
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