नई पुस्तकें >> सूक्ति प्रकाश सूक्ति प्रकाशडॉ. ओम प्रकाश विश्वकर्मा
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1000 सूक्तियों का अनुपम संग्रह
जिस स्त्री को अपनी पवित्रता का ख्याल है उसपर बलात्कार करने वाला पुरुष न आज तक पैदा हुआ है, न होगा।
- गाँधी
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जिसका मन पवित्र नहीं, उसका कोई काम पवित्र नहीं होता।
- जुन्नेद
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अधिक भोजन करना आरोग्य, आयु, पुण्य और स्वर्ग का नाशक तथा लोकनिन्दित है।
- मनु
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अपने को पहचानने के लिये मनुष्य को अपने से बाहर निकल कर तटस्थ बन कर अपने को देखना पड़ता है।
- गाँधी
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जब पैसे का सवाल आता है तब सब एक मजहब के हो जाते हैं।
- वाल्टेयर
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जो मनुष्य खूब सोच-विचार कर काम शुरू करता है; आरम्भ किये काम को समाप्त किये बिना नहीं छोड़ता, किसी समय भी काम करने से मुंह नहीं मोड़ता और इन्द्रियों को वश में रखता है, वही 'पण्डित' कहलाता है।
- विदुर
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जो कर के दिखाता है, वही पण्डित है।
-महाभारत
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जब कभी मैं किसी कम-अक्ल आदमी को भड़कीली पोशाक में देखता हूँ, तो मैं हमेशा अफसोस करने लगता हूँ कपड़ों की किस्मत पर।
- बिलिंग्ज
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पात्र-अपात्र में बड़ा भेद होता है-गाय घास खाकर दूध देती है, साँप दूध पीकर जहर उगलता है।
- डॉ. विश्वकर्मा
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सदुपयोगी को और मिलेगा; दुरुपयोगी से छीन लिया जायगा।
- बाइबिल
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जहाँ सूरज चमकता है क्या वहाँ रात हो सकती है?
- सूफी
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पाप का प्रारम्भ चाहे प्रातःकाल की तरह चमकदार हो, मगर उसका अंत रात्रि की तरह अंधकारपूर्ण होगा।
- टालमेज
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दूसरों के पाप हमारी आँखों के सामने रहते हैं; खुद के पीठ के पीछे।
- सैनेका
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पाप पहले मजेदार लगता है, फिर वह आसान हो जाता है, फिर हर्षदायक; फिर वह बार-बार किया जाता है, फिर आदतन किया जाता है, फिर उसकी जड़ जम जाती है; फिर आदमी गुस्ताख हो जाता है, फिर हठी, फिर वह कभी न पछताने का कसद कर लेता है और फिर वह तबाह हो जाता है।
- लीटन
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पाप में पड़ना मनुष्योचित है; पाप में पड़े रहना दुष्टोचित है; पाप पर दुःखित होना संतोचित है; तमाम पाप को छोड़ देना ईश्वरोचित है।
- लाँगफेलो
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छिपकर पाप करना कायरता और खुलकर पाप करना बेहयाई है।
- डॉ. विश्वकर्मा
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एक पाप दूसरे पाप के लिये दरवाजा खोल देता है।
- अज्ञात
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जब तक पाप पकता नहीं, तभी तक मीठा लगता है, लेकिन जब पकने लगता है; तब बड़ा दुःख देता है।
-बुद्ध
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जो पाप में पड़ता है, वह आदमी है; जो उस पर दुःखी होता है, साधु है; जो उस पर अभिमान करता है, शैतान है।
- फुलर
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पाप क्या है? 'जो दिल में खटके'।
- मुहम्मद
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जो पाप में तैरता है, वह दुःख में डूबेगा।
- कहावत
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एक पाप को दो दफे कर दो, बस वह अपराध नहीं मालूम पड़ेगा।
- तलमद
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जो आदमी 'सिर्फ अपने लिए खाना पकाता है' वह पापी है; वह 'पाप' ही खाता है।
- गीता
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