नई पुस्तकें >> सूक्ति प्रकाश सूक्ति प्रकाशडॉ. ओम प्रकाश विश्वकर्मा
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1000 सूक्तियों का अनुपम संग्रह
नीतितत्व का आधार जिसने ईश्वर को बनाया उसने मजबूत नींव पर इमारत खड़ी की।
- विनोबा
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नौति ही राजा है और नीति ही कानून है।
- विवेकानन्द
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दुनिया में सबसे मुश्किल काम अपना सुधार है और सबसे आसान दूसरों की नुकताचीनी।
- अज्ञात
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दुष्ट के बलिदान से ईश्वर घृणा करता है। परन्तु नेक की प्रार्थना से खुश होता है। .
- कहावत
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उस दिन को बर्बाद हुआ गिन, जिस दिन अस्ताचल को जाता हुआ सूर्य तेरे हाथ से कोई अच्छा काम किया गया न देखे।
- टेनफोर्ड
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शरारत करने के मौके दिन में सौ बार मिलते हैं, नेको करने का अवसर साल में एक बार।
- वाल्टेर।
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न तुम्हारी दौलत तुम्हें अल्लाह के नजदीक ले जा सकती है और न तुम्हारे बाल-बच्चे। अल्लाह के नजदीक वह जा सकता है जो नेक काम करे।
- कुरान
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शहद की मक्खियाँ सिर्फ अँधेरे में काम करती हैं; विचार सिर्फ खामोशी में काम करते हैं; नेक काम भी गुप्त रहकर ही कारगर होते हैं। अपने बायें हाथ को भी न मालूम होने दे कि तेरा दायाँ हाथ क्या करता है।
- कार्लाइल
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जो अपने नौकर को अपना भेद देता है, वह अपने नौकर को अपना मालिक बनाता है।
- ड्राइडन
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पढ़ने से आसान कोई मनोरंजन नहीं; न कोई खुशी उतनी स्थायी।
- लेडी मौटेग्यू
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महज किताबें पढ़ने का चटखारा लगा कि खुद की सारासार विचार शक्ति कमजोर पड़ जाने का डर है; और यह शक्ति एक बार हुई कि अपनी सारी जिन्दगी कौड़ी कीमत की हो जाती है।
- विवेकानन्द
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अच्छा पड़ोसी आशीर्वाद है, बुरा पड़ोसी अभिशाप।
- हैसियड
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सच्चा पड़ोसी वह नहीं जो तुम्हारे साथ उसी मकान में रहता है, बल्कि वह है जो तुम्हारे साथ उसी विचार-स्तर पर रहता है।
- स्वामी रामतीर्थ
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धनुर्धारी की परख उसके धनुष से नहीं, लक्ष्यबेध से होती है।
- कहावत
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औरत अपने चेहरे पर मुसकान का बुर्का डाल सकती है।
- खलील जिब्रान
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पर-निन्दा बगैर दुर्जन को चैन नहीं पड़ती, जिस तरह कौवा सब रस खाये, फिर भी विष्टा खाये बिना तृप्त नहीं होता।
- अज्ञात
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अगर एक ही कर्म से जगत को वश में करने की इच्छा हो तो पर-निन्दा छोड़ दो।
- अज्ञात
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परमात्मा का पता दिल को है, दिमाग को नहीं।
- पसकल
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परमात्मा सिर्फ पवित्रात्मा का दूसरा नाम है।
- जैनधर्म
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जिसने अपनी खुदी को जीत लिया; जो शान्त है; और जो सरदी-गर्मी, सुख-दुःख, मान-अपमान में एक सा रहता है, उसकी आत्मा ही परमात्मा है।
- गीता
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पहाड़ों की गुफाओं में जाकर कहीं परमार्थ सधता है? ऐसा होता तो बन्दरों ने भी साध लिया होता।
- श्री ब्रह्मचैतन्य
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'दुनिया क्या कहेगी' इस ख्याल से चलने का नाम व्यवहार है; 'भगवान क्या, कहेंगे' इस ख्याल से चलने का नाम परमार्थ है।
- श्री ब्रह्मचैतन्य
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करनी और शरण परमार्थ की दो कुजियां हैं।
- गीता
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