नई पुस्तकें >> सूक्ति प्रकाश सूक्ति प्रकाशडॉ. ओम प्रकाश विश्वकर्मा
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1000 सूक्तियों का अनुपम संग्रह
मैं एक समय में दो काम नहीं कर सकता।
- ग्लेडस्टन
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जो काम आ पड़े, साधना, पूजा, समझ कर करो।
- स्वामी रामदास
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जो अपने से हो सके वह काम दूसरे से मत कराना।
- गाँधी
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प्राणी अकेला जन्मता है, अकेला मरता है और अपने पाप-पुण्यों का फल भी अकेला ही भोग करता है।
- भगवान श्रीकृष्ण
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हम विश्वास से चलते हैं, आँखों से नहीं।
- बाइबिल
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मूर्ख भटकता है, ज्ञानी चलता है।
- पुरानी कहावत
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हम ऐसे ही कर्म करें जिन्हें न हों। भगवान देखें तो हम लज्जित।
- श्री ब्रह्मचैतन्य
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हर आदमी को अपनी कब्र में ऐसे लेटना होगा कि वह अपनी जगह पर करवट तक न बदल सकेगा।
- मुतनब्बी
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तीखे और कडुए शब्द कमजोर पक्ष की निशानी हैं।
- विक्टर ह्यूगो
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मैं नहीं जानता कि मैं कर्मयोगी हूँ या और कोई योगी। पर यह जानता हूँ कि मैं काम के वगैर जी नहीं सकता।
- गाँधी
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तमाम शास्त्र यही सबक सिखाते हैं कि 'जैसा करोगे वैसा भरोगे'।
- अज्ञात
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कम्युनिज्म के सिद्धान्त का सार एक वाक्य में बतलाया जा सकता है; तमाम वैयक्तिक सम्पत्ति का खात्मा कर दो।
- कार्लमार्क्स
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अपने हाथ की कमाई का भरोसा रखो, औलाद का नहीं। मसल है कि एक बाप दस बेटों का पालन कर सकता है पर दस बेटे एक बाप का पालन नहीं कर सकते।
- पिथागोरस
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कमाल सस्ता नहीं है, और जो सस्ता है वह कमाल नहीं है।
- जानसन
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जब कि मेरी जीवन-यात्रा समाप्त होनेवाली है, मैं कह सकता हूँ कि जीवन की पवित्रता ही सबसे सच्ची और सबसे ऊँची कला है।
- गांधी
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जो कला आत्मा को आत्म-दर्शन करने की शिक्षा नहीं देती वह कला ही नहीं है।
- गाँधी
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जीवन समस्त कलाओं से श्रेष्ठ है। जो अच्छी तरह जीना जानता है वही सच्चा कलाकार है।
- गांधी
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सच्चा कलाकार अपनी पत्नी को भूखों मरने देगा, बच्चों को नंगे पैर घूमने देगा और अपनी मां को सत्तर साल की उम्र में अपनी जीविका के लिये मारे-मारे फिरने को छोड़ देगा, लेकिन वह कला की आराधना के अलावा कोई काम नहीं करेगा।
- बर्नार्ड शा
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कलंक सजा में नहीं जुर्म में है।
- अलफीरी
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कवि वे हैं जो 'फूलों से महकते विचारों को उतने ही रंगीन शब्दों में लिखते हैं।
- श्रीमती क्रूडनर
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हमारी अन्तःस्थ भावनाओं को जाग्रत करने की सामर्थ्य जिसमें होती है, वह कवि है।
- गांधी
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कवि महान और ज्ञान की बातें करते हैं जिनको कि वे स्वयं नहीं समझते।
- प्लेटो
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कवि लिखने के लिये तब तक कलम नहीं उठाता जबतक उसकी स्याही प्रेम की आहों से शराबोर नहीं हो जाती।
- शेक्सपियर
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