लोगों की राय

नई पुस्तकें >> पलायन

पलायन

वैभव कुमार सक्सेना

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2020
पृष्ठ :60
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 15417
आईएसबीएन :9781613016800

Like this Hindi book 0

5 पाठक हैं

गुजरात में कार्यरत एक बिहारी मजदूर की कहानी

13

अमरकांत का दिल टूट चुका था। अमरकांत को महसूस हुआ जैसे दीप्ति से मेरी दूरी आसमान में दिख रहे सितारों जितनी थी।  अमरकांत ने फिर आसमान में चमकते हुए सितारों को देखकर लिखा -

है आसमाँ में हर किसी का एक सितारा
अंधेरा है ! ढूंढने में थोड़ी मुश्किल तो होगी।
है दिल सभी का आसमाँ जितना प्यारा
कौन है अपना, कौन है पराया
जानने में, थोड़ी मुश्किल तो होगी।
हैं चमक में सितारे, कोई ज्यादा तो कोई कम
मचलेंगे दिल सभी के, थोड़ी मुश्किल तो होगी।

है चांदनी की चमक किसी में, तो कोई सूरज सा तपा है
समझने में, थोड़ी मुश्किल तो होगी।
है सितारों की चाहत, है सितारों की मुस्कुराहट
हमको भी कोई चाहे, हमको भी कोई पाए
कौन है किसकी किस्मत का नज़ारा
जानने में, थोड़ी मुश्किल तो होगी।

है आसमाँ में हर किसी का एक सितारा
अंधेरा है, ढूंढने में थोड़ी मुश्किल तो होगी
है सितारों की बस्ती बड़ी अजनबी सी
हर किसी को मैं अपना कहलूँ
ऐसा मुमकिन तो नहीं
बिन पूछे बिन बोले दिल में किसे उतारूँ
वह मुझे अपना कहले
ऐसा मुमकिन तो नहीं
हो क्यों सितारों तुम अंधेरे के जहाँ में
दूर मुझसे बेबक्त उस आसमाँ में
शराफत से देखूं शराफत से चाहूँ
बिन बोले बिन छेड़े
ऐसा मुमकिन तो नहीं
है आसमाँ में हर किसी का एक सितारा
अंधेरा है, ढूंढने में थोड़ी मुश्किल तो होगी।

* * *

...Prev |

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ

लोगों की राय

No reviews for this book

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai