नई पुस्तकें >> चेतना के सप्त स्वर चेतना के सप्त स्वरडॉ. ओम प्रकाश विश्वकर्मा
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डॉ. ओ३म् प्रकाश विश्वकर्मा की भार्गदर्शक कविताएँ
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भारतीय कवितायें
प्रकाश का दीप स्वतः जल जाये
जब जीवन रस सूख जाय,
तब करुणा की धारा बन आना।
जब जीवन का माधुर्य विलग हो,
तब गीतों का अमृत बन जाना।।१
दैत्याकार कामनायें जब,
घेरे मेरे जीवन को।
तब हे उदार प्रभु! खोल द्वार,
संरक्षण देना मेरे मन को।।२
वासनाओं के प्रकोप से,
जब अंधा विवेक हो जाये।
तब ऐसी करुणा बरसाना,
'प्रकाश' का दीप स्वत: जल जाये।।३
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