नई पुस्तकें >> चेतना के सप्त स्वर चेतना के सप्त स्वरडॉ. ओम प्रकाश विश्वकर्मा
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डॉ. ओ३म् प्रकाश विश्वकर्मा की भार्गदर्शक कविताएँ
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भारतीय कवितायें
मेरे प्यारे देश तुझे तन-मन-धन सब अर्पण है
मेरे प्यारे देश तुझे,
तम-मन-धन सब अर्पण है।
सारे जग से न्यारा प्यारा,
भारत वर्ष हमारा,
झंण्डा ऊँचा रहा हमारा।
नत् मस्तक जग सारा।।
वन्देमातरम् गीत तुम्हारा, गाता जन-गण-मन है।
मेरे प्यारे देश तुझे, तन-मन-धन सब अर्पण है।।१
राष्ट्र प्रेम की भक्ति भावना,
सदा सभी के दिल में हो।
दुश्मन कोई छेड़ सके ना,
स्वाभिमान की हर मंजिल हो।।
काश्मीर से कन्याकुमारी तक तेरा दर्शन है।
मेरे प्यारे हिन्द देश तुझे तन-मन-धन सब अर्पण है।।२
यह देश जहाँ पर सत्य अहिंसक
राजाओं ने राज किया।
शिवि, दधीचि, हरिश्चन्द्र दानी
वीरों ने अद्भुत त्याग किया
जो वीर-शिवा, राणा प्रताप, झांसी वाली का वतन है।
मेरे प्यारे देश तुझे तन-मन-धन सब अर्पण है।।३
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