नई पुस्तकें >> चेतना के सप्त स्वर चेतना के सप्त स्वरडॉ. ओम प्रकाश विश्वकर्मा
|
0 5 पाठक हैं |
डॉ. ओ३म् प्रकाश विश्वकर्मा की भार्गदर्शक कविताएँ
|
भारतीय कवितायें
परिश्रम का महत्व
किया परिश्रम जग में जिसने,
नाम उसी का होता है।
मिलता प्रकाश उसको जीवन में,
भाग्य न उसका सोता है।
समय से जाते विद्यालय,
जो मेहनत करके पढ़ते हैं।
हिलमिल कर रहने वाले,
आपस में न लड़ते हैं।
चाहे जितना दुर्गम पथ हो,
आगे-आगे बढ़ते हैं।
चूमे चरण सफलता उनके,
भाग्य सितारे जड़ते हैं।
किया परिश्रम जग में जिसने।।१।।
मेहनत करने वाले किसान,
वह भारत मां के प्यारे हैं।
श्रम करके जो मोती बोते,
काम इन्हीं के न्यारे हैं।
सीमा पर रहते जवान,
नित्य भारत के रखवाले हैं।
करें आरती मिलकर सब,
जय जवान के नारे हैं।
किया परिश्रम जग में जिसने।।२।।
स्वतन्त्रता के खातिर जिसने,
प्राणों की परवाह न की।
भारत मां की बेड़ी काटी,
नाम की जिसने चाह न की।
गोली खाई सीने में, पर
अन्त सांस तक आह न की।
स्वर्णाक्षर में अंकित है उनका,
नाम की जिसने चाह न की।
किया परिश्रम जग में जिसने।।३
कार्य कठिन हो चाहे जितना,
श्रम से न तुम घबराना।
श्रम शक्ति तुम्हारे हाथों में है,
उसको ही तुम अपनाना।
दुनियां वाले क्या कहते हैं,
इसको तुम न शर्माना।
सफलता होगी हाथ तुम्हारे,
होगा जग का शीश झुकाना।
किया परिश्रम जग में जिसने।।४
* *
|