लोगों की राय

ई-पुस्तकें >> शिवपुराण भाग-1

शिवपुराण भाग-1

हनुमानप्रसाद पोद्दार

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2020
पृष्ठ :832
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 14
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 0

शिवपुराण सरल हिन्दी भाषा में पढ़ें


महर्षियो! अब संक्षेप से भी पार्थिव-पूजन की वैदिक विधि का वर्णन सुनो।  'सद्योजातं प्रपद्यामि सद्योजाताय वै नमो नमः। भवे भवेनातिभवे भवस्व मां भवोद्भवाय नमः।।' इस ऋचा से पार्थिवलिंग बनाने के लिये मिट्टी ले आये। ' ॐ वामदेवाय नमो ज्येष्ठाय नमः श्रेष्ठाय नमो रुद्राय नमः कालाय नमः कलविकरणाय नमो बलविकरणाय नमो बलाय नमो बलप्रमथनाय नमः सर्वभूतदमनाय नमो मनोन्मथाय नमः।' इत्यादि मन्त्र पढ़कर उसमें जल डाले।  (जब मिट्टी सनकर तैयार हो जाय तब)  'ॐ अघोरेभ्योऽथ घोरेभ्यो घोरघोरतरेभ्यः सर्वेभ्यः सर्वशर्वेभ्यो नमस्तेऽस्तु रुद्ररूपेभ्यः।'  मन्त्र से लिंग निर्माण करे। फिर 'ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्।' इस मन्त्र से विधिवत् उसमें भगवान् शिव का आवाहन करे। तदनन्तर 'ॐ ईशानः सर्व विद्यानामीश्वरः सर्वभूतानां ब्रह्माधिपतिर्ब्रह्मणो ब्रह्मा शिवो मेऽस्तु सदा शिवोम्।।' मन्त्र से भगवान् शिव को वेदी पर स्थापित करे। इनके सिवाय अन्य सब विधानों को भी शुद्ध बुद्धिवाला उपासक संक्षेप से ही सम्पन्न करे। इसके बाद विद्वान् पुरुष पंचाक्षर मन्त्र से अथवा गुरु के दिये हुए अन्य किसी शिवसम्बन्धी मन्त्र से सोलह उपचारों द्वारा विधिवत् पूजन करे अथवा-

भवाय भवनाशाय महादेवाय धीमहि।
उग्राय उग्रनाशाय शर्वाय शशिमौलिने।। (२०। ४३)

इस मन्त्र द्वारा विद्वान् उपासक भगवान् शंकर की पूजा करे। वह भ्रम छोड़कर उत्तम भाव-भक्ति से शिव की आराधना करे; क्योंकि भगवान् शिव भक्ति से ही मनोवांछित फल देते हैं।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book