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उपयोगी हिंदी व्याकरण

भारतीय साहित्य संग्रह

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प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2021
पृष्ठ :400
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 12546
आईएसबीएन :1234567890

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हिंदी के व्याकरण को अघिक गहराई तक समझने के लिए उपयोगी पुस्तक

वृत्ति, काल और पक्ष

वृत्ति


वृत्ति को क्रियार्थ  भी कहते हैं। क्रियार्थ  का तात्पर्य है क्रिया का अर्थ  (= प्रयोजन) अर्थात् क्रिया रूप कहने वाले या लिखने वाले के किस प्रयोजन या वृत्ति की ओर संकेत करता है। वाक्य में अर्थ इंगित करने का मुख्य साधन क्रिया रूप होते हैं, यद्यपि कुछ अव्यय, जैसे— शायद, मानो, संभवतः, यदि ... तो आदि, भी क्रिया रूप की सहायता करते हैं। हिंदी में क्रियार्थ मुख्यतः पाँच हैं—

1. विध्यर्थ, 2. निश्चयार्थ, 3. संभावनार्थ 4. संदेहार्थ, 5. संकेतार्थ।

1. विध्यर्थ:  जब आप यह चाहते हैं कि आपकी बात सुनकर सुननेवाला कुछ क्रिया करे या करने की योजना बनाए तो आपका क्रिया अर्थ विधि (ऐसा करो) — प्रधान ... होता है और आप विध्यर्थ (विधि + अर्थ) क्रिया रूपों का प्रयोग करते हैं। जैसे कि आपने कहा कि ज़रा समय बताइए तो आपकी मंशा (अर्थ) यह है कि वह व्यक्ति घड़ी आदि देखकर आपको समय बताए। यहाँ बताइए क्रिया रूप से विध्यर्थ प्रकट होता है।

2. निश्चयार्थ: यदि आप श्रोता से कोई कार्य करने की अपेक्षा नहीं करते हैं तो आपका कथन सूचानात्मक होता है। मान लीजिए आपने कहा कि मोहन फुटबाल खेल रहा है — यह सुनने वाले के लिए सूचना-प्रधान कथन है। यह कथन निश्चयार्थक है, अर्थात् यह सत्य है या असत्य इसकी जाँच की जा सकती है। खेल रहा है  क्रिया रूप से निश्चयार्थ प्रकट होता है।

3. संभावनार्थ: निश्चयार्थ में दिए सूचनात्मक कथन के संबंध में यह बताया जा सकता है कि यह सत्य  है या असत्य। परंतु कथन निश्चित न होकर अनिश्चित भी हो सकता है जैसे— आज शाम को शायद पानी बरसे। यहाँ कथन अनिश्चित है, क्योंकि पानी बरस भी सकता है, नहीं भी बरस सकता है। अर्थात् यहाँ कथन की संभावना तो है, पर निश्चय नहीं। ऐसे कथन में क्रिया का संभावनार्थ प्रयुक्त होता है।

4. संदेहार्थ: संभावना कभी-कभी काफी अधिक होती है अर्थात् आपको लगभग यकीन है कि कथन सत्य (या असत्य) निकलेगा। थोड़ा-सा भी संदेह होने के कारण कुछ अनिश्चय होता है, ऐसी स्थित में संदेहार्थ का प्रयोग होता है। मोहन इस समय स्टेशऩ पर आ गया होगा  से मोहन इस समय स्टेशन पर आ गया है। इस बात का लगभग पूरा-पूरा यकीन है पर साथ में कुछ संदेह भी है। यहाँ क्रिया के संदेहार्थी रूप आ गया होगा  से संदेहार्थ— भाव स्पष्ट होता है।

5. संकेतार्थ: कार्य-सिद्धि के लिए कुछ शर्तों का पूरा होना आवश्यक हो जाता है। अगर पानी नहीं बरसेगा तो मैं ठीक समय पर आजाऊँगा  “में” अगर तो  से संकेतार्थ भाव स्पष्ट है। ... “मैं पढ़ता होता तो अवश्य पास हो गया होता” में क्रियारूप पढ़ता होता, पास हो गया होता संकेतार्थ  प्रकट कर रहे हैं। मैं पास हो गया हूँ। इसके लिए मैं पढ़ता था  की शर्त की सत्यता आवश्यक है।

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