| मूल्य रहित पुस्तकें >> उपयोगी हिंदी व्याकरण उपयोगी हिंदी व्याकरणभारतीय साहित्य संग्रह
 | 
			 | ||||||
हिंदी के व्याकरण को अघिक गहराई तक समझने के लिए उपयोगी पुस्तक
अध्याय 7
संज्ञा
      निम्नलिखित वाक्यों पर ध्यान दीजिए:
      
      मोहन आज लखनऊ से बनारस जा रहा है।
      गाय हमारे लिए एक उपयोगी पशु है।
      गंगा हिमालय से निकलती है।
      सभी मनुष्यों से प्रेम करना चाहिए।
      योग्यता में सोहन सबसे  आगे है।
      बचपन में सोहन की सुंदरता देखते ही बनती थी।
      
      इन वाक्यों में तिरछे छपे शब्दों पर ध्यान दीजिए। मोहन और सोहन शब्द
      व्यक्तियों के नाम हैं, गाय जानवरों की एक जाति विशेष का नाम है; गंगा नदियों
      में एक नदी विशेष का नाम है, लखनऊ और बनारस नगरों में नगर विशेष के नाम हैं;
      हिमालय पर्वत विशेष का नाम है; प्रेम भावविशेष का नाम है; योग्यता, बचपन,
      सुंदरता गुण-स्थिति के द्योतक हैं — इस प्रकार ये सब शब्द किसी के नाम को
      बताते हैं। व्याकरण में इन्हें संज्ञा कहते हैं। इस प्रकार संज्ञा वे शब्द
      हैं जो किसी प्राणी, व्यक्ति, स्थान अथवा भाव के नाम के रूप में प्रयुक्त
      होते हैं।
    
संज्ञा के भेद
संज्ञा के तीन मुख्य भेद होते हैं:
      
      1.    व्यक्तिवाचक संज्ञा — मोहन, हिमालय, गंगा, लखनऊ आदि।
      2.    जातिवाचक संज्ञा — लड़का, पहाड़, नदी, नगर आदि।
      3.    भाववाचक संज्ञा — बचपन, सुंदरता, प्रेम, योग्यता आदि।
      
      4.    द्रव्यवाचक संज्ञा — सोना, चाँदी, लकड़ी, अन्न आदि।
      5.    समूहवाचक संज्ञा — सेना, पुलिस, मँत्रिमंडल, सभा आदि।
      इनके विवरण यहाँ दिए जा रहे हैं : —
| व्यक्तिवाचक संज्ञा | मोहन, हिमालय, गंगा, लखनऊ आदि। | 
| जातिवाचक संज्ञा | लड़का, पहाड़, नदी, नगर आदि। | 
| भाववाचक संज्ञा | बचपन, सुंदरता, प्रेम, योग्यता आदि। | 
कुछ लोग जातिवाचक उपभेज द्रव्य (पदार्थ) वाचक और समूहवाचक को भी पृथक् भेद मानते हैं। ऐसी स्थिति में पाँच भेद हो जाते हैं:
| द्रव्यवाचक संज्ञा | सोना, चाँदी, लकड़ी, अन्न आदि। | 
| समूहवाचक संज्ञा | सेना, पुलिस, मँत्रिमंडल, सभा आदि। | 
इनके विवरण नीचे दिए जा रहे हैं :
| 
 | |||||

 
 
		 





 
 
		 
