मूल्य रहित पुस्तकें >> उपयोगी हिंदी व्याकरण उपयोगी हिंदी व्याकरणभारतीय साहित्य संग्रह
|
0 |
हिंदी के व्याकरण को अघिक गहराई तक समझने के लिए उपयोगी पुस्तक
(5) व्याकरणिक विवेचन की दृष्टि से
(क) रूपांतरण के आधार पर
भाषा के शब्द भंडार से, अभिव्यक्त किए जाने वाले विचार आदि के अनुकूल शब्द,
ले लेने पर भी हम ज्यों-का-त्यों प्रयोग वाक्य में नहीं कर सकते हैं। यदि
सामने मैदान में तीन बच्चे गेंद खेल रहे है और आप यह बात कहना के लिए हिंदी
के शब्द भंडार से मैदान, तीन, बच्चा और खेलना शब्द निकाल भी लिए, तो भी
‘मैदान तीन बच्चा गेंद खेलना’
कोई वाक्य नहीं बना। वाक्य तब बनेगा जब आप कहेंगे
मैदान में तीन बच्चे गेंद खेल रहे हैं।
अर्थात् बच्चा का बच्चे (बहुवचन मूलविभक्ति रूप), मैदान के साथ में लगकर
मैदान में और खेलना के साथ वर्तमान काल, सातत्यपक्ष, पुलिंग, बहुचवचन अन्य
पुरुष वाले प्रत्यादि लगे। इस प्रकार शब्दों में रूपांतरण करना पड़ता है। इस
आधार पर शब्द दो प्रकार के होते हैं — (1) विकारी, (2) अविकारी।
विकारी शब्द
संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया शब्द विकारी शब्द हैं, क्योकि इनके
मूलशब्द का रूपांतरण होता है:
संज्ञा लड़का --> लड़के (परसर्ग रहित
विभक्ति+बहुवचन (/) परसर्ग सहित + एकवचन)
लड़का --> लड़कों (परसर्ग सहित + बहुवचन)
लड़की --> ल़ड़कियाँ (परसर्ग रहित + बहुचवन)
माता --> माताएँ (परसर्ग रहित + बहुवचन)
विशेषण अच्छा --> अच्छे
(लड़के/लड़कों) (परसर्ग रहित + बहुवचन)
(परसर्ग सहित + एकवचव)
(परसर्ग सहित + बहुवचन)
सर्वनाम मैं --> मुझ (को); मैं --> मुझे; मैं
--> मेरा
यह --> उस (को); ये --> उन्हें; ये --> उन्होंने (स्वयं ये -->
यह)
क्रिया जाना --> (मैं) जाऊँगा (उत्तमपुरुष,
पुंलिंग, एकवचन, भविष्यकाल, निश्चयार्थ)
जाना --> वह जा रही है (अन्यपुरुष, स्त्रीलिंग, एकवचन,
वर्तमानकाल सातत्यपक्ष, निश्चयार्थ, कर्तृवाच्य)
इस प्रकार ऊपर बताए शब्दों में रूपांतरण होता है और उस रूपांतरण में प्रत्यय
या सहायक क्रिया होना आदि का प्रयोग होता है जो निम्नलिखित प्रकार की सूचनाएँ
भी देती हैं:
(1) लिंग (2) वचन (3) विभक्ति (4) पुरुष (5) काल (6) वृत्ति (7) पक्ष (8)
वाच्य इन आठों को तकनीकी भाषा में व्याकरणिक कोटि कहते हैं।
अधिकारी शब्द
कुछ शब्द ऐसे हैं, जिनमें जो मूल शब्द है वह वही बना रहा है। इन्हें अव्यय भी
कहते हैं। इनमें लिंग, वचन आदि व्याकरणिक कोटियों की कोई अभिव्यक्ति नहीं
होती है, जैसे— आज, यहाँ, और अथवा, अरे। इनके चार भेज होते हैं और भेद का
आधार यह है कि वे वाक्य में क्या कार्य-प्रकार्य कर रहे हैं।
(1) क्रियाविशेषण: आज, कल, अब, सदैव, इधर, यहाँ, भलीभाँति,
ध्यानपूर्वक
(2) संबंधबोधक: - के ऊपर, - के पहले, - के बिना, - के हेतु, के
अनुसार आदि।
(3) समुच्चयबोधक: और, या, किंतु, अतएव आदि।
(4) विस्मयादिबोधक: ओह, अरे, शाबाश, ओफ़ आदि।
शब्दभेद: ऊपर विकारी के चार तथा अविकारी के चार — कुल आठ भेज शब्दों के होते
हैं, अतएव हिंदी में शब्द भेद आठ प्रकार के हैं:
(1) संज्ञा, (2) सर्वनाम, (3) विशेषण, (4) क्रिया, (5) क्रियाविशेषण, (6) संबंधबोधक, (7) समुच्चयबोधक, (8) विस्मयादिबोधक)।
|