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श्रंगार-विलास >> वयस्क किस्से 2

वयस्क किस्से 2

मस्तराम मस्त

प्रकाशक : श्रंगार पब्लिशर्स प्रकाशित वर्ष : 2020
पृष्ठ :50
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 1215
आईएसबीएन :1234567890

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मस्तराम के कुछ और किस्से

लड़का घूम कर के सामने फिर से आ गया। इस बीच आंटी ने उसकी कमर के दोनों ओर हाथ लगाकर उसकी जीन्स को नीचे खिसका दिया। जीन्स के साथ-साथ उसका जाँघिया भी खिंचा चला आया था, जिससे एक जवान चूहा बाहर निकलने की कोशिश में था। आंटी ने जाँघिये को फिर से ऊपर किया और सफाई से केवल उसकी जीन्स नीचे तक उतार दी। आंटी उसके साथ खेल कर रही थी। आंटी ने अपनी छातियाँ आगे झुका कर उसके और पास कर दीं। वह बेचैन होने लगा था। मुझे लगा मेरे गाल और कान बहुत गरम हो रहे थे। मैंने अपने गाल को छूकर देखा तो पाया कि वह वास्तव में गरम हो गया। मेरा हाथ गाल से उतर कर कुर्ते में गया और मैंने दायें हाथ से अपना बायां उरोज सहलाना शुरू किया और बायें हाथ से सलवार खिसकाते हुए चड्ढी के अंदर डाल दिया और अपने आप को धीरे-धीरे सहलाने लगी।

आंटी की साड़ी नीचे खिसक गई थी और उसकी मांसल भुजाएँ और बड़े-बड़े उरोज लड़के के हाथों को उलझाए हुए थे।

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