लोगों की राय

श्रंगार-विलास >> वयस्क किस्से 2

वयस्क किस्से 2

मस्तराम मस्त

प्रकाशक : श्रंगार पब्लिशर्स प्रकाशित वर्ष : 2020
पृष्ठ :50
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 1215
आईएसबीएन :1234567890

Like this Hindi book 0

मस्तराम के कुछ और किस्से

सब कुछ बड़ा अजीब लग रहा था। क्या हो रहा है?
आँटी बोली, "सोफे पर बैठे लड़के को ध्यान से देखो, उसका हाथ क्या कर रहा है?"
आंटी की बात सुनकर मेरा ध्यान गया कि सोफे पर बैठा आदमी एक लड़का है और उसका हाथ अपनी पैण्ट के अंदर लग रहा था। मुझे ठीक से कुछ समझ नहीं आ रहा था कि यह सब क्या हो रहा है, लेकिन कुछ-कुछ भनक लगने लगी थी। आंटी मुझसे बोली, "थोड़ी देर यहीं रुकी रही हो और यहीं से देखना क्या होता है। उसके बाद जब मैं तुम्हें बुलाने आऊँ तब तुम भी मेरे साथ कमरे में जा सकती हो।" मेरे दिल की धड़कन अब आगे के आसार देखते हुए बढ़ने लगी थी। मुझे लगना लगा, "जिसका मुझे था इंतजार, जिसके लिए दिल था बेकरार, वो घड़ी आ गई-आ गई। आज तो हद से गुजर जाना है..."

चन्दा की बातें सुनते हुए असल में सुनीता का दिल उसकी छाती के अदर इतनी तेज धड़क रहा था कि उसे ऐसा लग रहा था कि दिल निकल कर बाहर ही आ जायेगा। सुनीता इस मामले में चन्दा से कहीं ज्यादा चलते-पुर्जा थी। कुछ महीने पहले उसकी चचेरी बहिन की शादी में एक दूर के रिश्तेदार लड़के के साथ पहले नैन मटक्का और फिर छत पर कुछ मिनटों को लिए रगड़-घिस हो चुकी थी। उतने में ही सुनीता ऐसी सन्नाई थी कि कई दिनों तक उसकी याद आते ही अंदर तमतमा जाती थी। यहाँ तक कि सपने में तो उसे अंतिम मुकाम कई बार हासिल हो चुका था। लेकिन असल में तो वह उसके लिए तरस रही थी। केवल सुनीता ही क्या, सुनीता, चन्दा और उनकी पक्की तीन-चार सहेलियाँ, सभी तरस रहीं थी। इसलिए वह पक्के तौर पर जानना चाहती थी कि चन्दा कितनी दूर जा पायी थी, या केवल उलटी सीधी पट्टी पढ़ा रही है।

सुनीता बोली-फिर क्या हुआ?
आंटी मुझे खिड़की के पास छोड़कर कमरे के अंदर चली गई। आंटी के घुसते ही सोफे पर बैठा लड़का मेरी ओर घूमा। सच बताऊँ, उसे देखते ही मेरी सिसकारी निकल गई। ये तो हमारे ही मोहल्ले का वो मस्त चिकना लड़का था! मेरी तो पहले से ही उस पर थोड़ी बहुत नजर थी, लेकिन मैं उसके बारे में अधिक सोचती नहीं थी, क्योंकि मुझे नहीं लगता था कि मैं कभी उस पर हाथ रख पाऊँगी।

आंटी ने कमरे में घुसते ही कहा, "अरे! तुम अभी तक ऐसे ही बैठे हो, आराम से बैठो।" आंटी को देखते ही वह अपना हाथ पैण्ट से बाहर निकालता हुआ उठ खड़ा हुआ। अब मुझे साफ दिख गया कि उसकी जीन्स सामने से बहुत फूल गई थी। जीन्स के अंदर चूहा मुस्टण्डों की तरह फैल रहा था।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book