लोगों की राय

जीवनी/आत्मकथा >> सिकन्दर

सिकन्दर

सुधीर निगम

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :82
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 10547
आईएसबीएन :9781613016343

Like this Hindi book 0

जिसके शब्दकोष में आराम, आलस्य और असंभव जैसे शब्द नहीं थे ऐसे सिकंदर की संक्षिप्त गाथा प्रस्तुत है- शब्द संख्या 12 हजार...


सिकंदर ने उत्तर भिजवाया, ‘‘वह एशिया का नया सम्राट है इसलिए वही भू-भाग के विभाजन का निर्णय कर सकता है।’’

युद्ध भूमि से लौटकर सिकंदर ने अपनी पहली चिंता के रूप में दारा के परिवार की महिलाओं को आश्वासन भेजा कि दारा अभी जीवित है और सभी महिलाओं के साथ सम्मानपूर्ण व्यवहार किया जाएगा। सिकंदर के इस व्यवहार से उसके मानवीय और उदार विचारों का दारा-परिवार को पता चला तो उन्होंने संतोष की सांस ली। दारा की पत्नी स्टैतेरा, जिसकी सबसे सुंदर स्त्री होने की ख्याति थी, उस काल के सिकंदर जैसे विजेताओं से दूसरे ही तरह के व्यवहार की आशा कर रही थी।

सिंकदर द्वारा वांछित पूर्ण समर्पण के लिए दारा ने मना कर दिया। इस पर सिकंदर ने उसे बुरी तरह पराजित करने का निर्णय लिया। वह सीरिया को पलायन कर गया था। लेकिन सीरिया में घुसकर दारा को पूरी तरह पराजित करने के स्थान पर सिकंदर ने परसिया के सामुद्रिक आधार केन्द्रों पर अपने आक्रमण को जारी रखना उचित समझा। अतः उसने पारसीक शक्ति के महत्वपूर्ण केन्द्र तीरोस और सिदोन बंदरगाहों की ओर प्रयाण किया। सिदोन ने तो तुरंत आत्मसमर्पण कर दिया किंतु तीरोस ने सिकंदर का प्रतिरोध किया। तीरोस ऐसा नगर था जिसे अधिकृत करने के सभी पूर्व प्रयास असफल रहे थे। प्रसिद्ध बेबीलोनियन सम्राट नेबूशदनेज्जर का विरोध तीरोस ने 14 वर्ष तक किया था। यहां सिकंदर की सैन्य कुशलता के प्रदर्शन का उदाहरण मिलता है। समस्या यह थी कि द्वीप पर स्थित किले पर मुख्य भूमि से वार कैसे किया जाय। सिदोन से खुली नौकाएं और साइप्रस से 200 जहाज मिले थे। इनका प्रयोग करके अभियन्ताओं ने समुद्र पर आधे मील लम्बा एक बांध बनाया। सात महीने तक संघर्ष चला और अंत में विजय सिकंदर को मिली। प्राचीन फिलिस्तीनी नगर गाजा भी जीत लिया गया। दोनों नगरों में थीब्ज़ के समान ही नरसंहार और लूटपाट हुई। जीवित बचे लोगों को दास के रूप में बेच दिया गया। इसके साथ ही एक भूमध्यसागरीय शक्ति के रूप में परसिया का प्रभाव समाप्त हो गया।

* *

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book