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जीवनी/आत्मकथा >> प्लेटो

प्लेटो

सुधीर निगम

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :74
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 10545
आईएसबीएन :9781613016329

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पढ़िए महान दार्शनिक प्लेटो की संक्षिप्त जीवन-गाथा- शब्द संख्या 12 हजार...

सुकरात का चरित्र चित्रण

सामान्यतः प्रारंभिक या सुकरातीय माने जाने वाले संवादों में मुख्य पात्र सदा सुकरात ही रहा है। प्रश्नोत्तरों में सुकरात को बहुत तेज-तर्रार दिखाया गया है जिसे लोग ‘सुकरात की अध्यापकीय पद्धति’ या ‘खंडन’ की रीति की तरह जानते हैं। इसमें सुकरात सदा प्रश्नकर्ता की भूमिका में दिखाई देते हैं क्योंकि उसका दावा था कि वह ज्ञानी नहीं है अतः दूसरों के साथ कुछ बांट नहीं सकता। वह अत्यंत कठिन और अनुशासनहीन संभाषणकर्ता को भ्रमित कर देने में माहिर है। अपोलाजी में सुकरात स्पष्ट कहता हैं कि उसके कारण समकालीनों को जो परेशानी हुई है उसका कारण उसके मित्र जेरोफोन को सुनाई गई भविष्यवाणी थी जिसके अनुसार सुकरात से अधिक कोई बुद्धिमान नहीं था। देववाणी का सही अर्थ जानने के लिए सुकरात ने दैव नियोजित एक अभियान एथेंस में चलाया ताकि उसकी तथाकथित बुद्धिमत्ता की झूठी अहंमन्यता की पोल खुल सके। जांच ने सुकरात के कई समकालीनों को विचलित कर दिया जो, सुकरात का दावा है, उसके ऊपर आरोप लगाए जाने का मुख्य कारण बना गया।

सुकरात को अपने ‘अभियान’ के लिए एथेंस में घूमते हुए प्लेटो ने दिखाया हैं इससे दो संभावित स्पष्टीकरण सामने आते हैं। पहला, एथेंसवासियों ने पोलोपोनीसोस युद्ध के पराजयजनित कठिन समय में क्यों सुकरात पर मुकदमा चलाया और उसे दंड दिलवाया और दूसरे, कि सुकरात पर लगाए गए आरोप क्या वास्तव में सही थे ? इससे भी अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रारंभिक संवादों में प्लेटो प्रस्तावित दार्शनिक स्थितियों के नकार के लिए भ्रामक जिरह सामने लाता है जिससे दार्शनिक पाठकों को चुनौती मिलती है साथ ही उनकी रुचि जाग्रत होती है।

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