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पढ़िए महान दार्शनिक प्लेटो की संक्षिप्त जीवन-गाथा- शब्द संख्या 12 हजार...
‘‘मानव-जीवन ओलम्पिया के महान उत्सव के समान है जहाँ पर सारी दुनिया रंग-बिरंगी भीड़ बनकर आती है। कुछ लोग यहाँ मेले में व्यापार करने और आनन्द लेने आते हैं, कुछ लोग प्रतियोगिताओं में पुरस्कार जीतने आते हैं, कुछ लोग केवल दर्शक होते हैं और ये अंतिम प्रकार के लोग दार्शनिक हैं क्योंकि वे अपने आपको तात्कालिक समस्याओं के समाधान और व्यावहारिक आवश्यकताओं की पूर्ति की जल्दबाजी से मुक्त रखते हैं।’’
शंकराचार्य ने इस बात को स्पष्ट किया है, ‘‘ज्ञान के साधक के लिए आधारभूत योग्याताएं हैं-नित्य और अनित्य के बीच भेद करने की क्षमता, कर्म के पार्थिव और दिव्य फलों का उपभोग करने से विरक्ति, आत्मसंयम और आत्मिक स्वतंत्रता के लिए तीव्र इच्छा होना।’’
दार्शनिक के रूप में प्लेटो इन कसौटियों पर खरा उतरता है।
प्लेटो कब और कहाँ पैदा हुआ था, इस संबंध में निश्चयपूर्वक कुछ नहीं कहा जा सकता। हाँ, यह निश्चित है कि वह एक कुलीन और प्रभावशाली परिवार में पैदा हुआ था। प्राचीन सूत्रों के आधार पर आधुनिक विद्धानों का विश्वास है कि उसका जन्म ई.पू. 429 से 421 के मध्य एथेंस या उसके उपनगर एजिना में हुआ था। उसके पिता अरिस्तोन एथेंस के प्राचीन राजा काड्रस के वंशधर थे। पिता की ओर से प्लेटो की वंशावली एथेंस के प्राची राजाओं से होती हुई देवता पोसीदोन (भारतीय प्रजापति के समकक्ष) तक पहुंच जाती है। उसका मातृपक्ष भी बड़ा प्रभावशाली था। उसकी माता पेरिक्तोन प्रसिद्ध दार्शनिक खारमीदिस की बहन तथा एथेंस के प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ, वक्ता और लेखक क्रीतिओस की भतीजी थी।
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