जीवनी/आत्मकथा >> प्लेटो प्लेटोसुधीर निगम
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पढ़िए महान दार्शनिक प्लेटो की संक्षिप्त जीवन-गाथा- शब्द संख्या 12 हजार...
429 से 421 वर्ष ईसा पूर्व के बीच एथेंस के एक अभिजात्य परिवार में पैदा हुए प्लेटो एक दार्शनिक, शिक्षा-शास्त्री और राजनीतिज्ञ थे। वे 20 वर्ष की आयु में गुरु सुकरात के संपर्क में आए। सुकरात ने तो कुछ नहीं लिखा पर प्लेटो ने प्रभूत दार्शनिक साहित्य का सृजन किया जिससे पश्चिमी जगत आज भी प्रभावित है। सुकरात से ही सीखकर प्लेटो ने अपने दार्शनिक सिद्धांतों को प्रश्नोत्तर रूप में प्रस्तुत किया। उनके संवादों में साम्य और वैषम्य दोनों पाए जाते हैं। ‘रिपब्लिक’ जैसी जगत्-प्रसिद्ध पुस्तक लिखने वाले प्लेटों ने संसार की पहली ‘अकादमी’ स्थापित की। उनका शिष्य अरस्तू इसी अकादमी का विद्यार्थी था।
पढ़िए इस महान दार्शनिक की संक्षिप्त जीवन-गाथा-
अनुक्रम
1. प्रारंभिक जीवन
2. राजनीति से तोबा
3. अकादमी की स्थापना
4. रचना-संसार
5. संवादों का प्रकथन
6. सुकरात का मुकदमा
7. प्लेटो के संवाद और सुकरात
8. संवादों का काल निर्धारण
9. संवादों में साम्य और वैषम्य
10. सुकरात का चरित्र चित्रण
11. लेखन पर बाह्य प्रभाव
12. अज्ञान की गुफा
13. भौतिक सिद्धांत
14. ज्ञान सिद्धांत
15. नैतिक विचार
16. सत्य
17. प्लेटो की आत्मा
18. धर्म
19. प्रत्ययवाद की अवधारणा
20. राजनीतिक विचार और ‘रिपब्लिक’
21. अवसान
प्रारंभिक जीवन
गणित, संगीत, चिकित्साशास्त्र, नक्षत्र विज्ञान, धर्म आदि विविध क्षेत्रों के चिंतक पाइथागोरस (छठी शताब्दी ई.पू.) से प्रश्न किया गया कि वह अपने आपको दार्शनिक क्यों कहता है तो उसने उत्तर में यह कहानी सुनाई-
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