नई पुस्तकें >> लेख-आलेख लेख-आलेखसुधीर निगम
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समसामयिक विषयों पर सुधीर निगम के लेख
पैर का अंगूठा भी काम में आता है। कहा जाता है कि स्वामी विवेकानंद को उनके गुरु स्वामी रामकृष्ण परमहंस ने अपने पैर के अंगूठे से उनके पैर के अंगूठे का स्पर्श कर अलौकिकता के दर्शन कराए और उन्हें अपनी आध्यात्मिक शक्ति का परिचय दिया। श्रीमद् वाल्मीकीय रामायण के अनुसार सुग्रीव ने मित्रता के पूर्व शर्त रखी कि राम अपनी शक्ति का परिचय दें। अपने बल का परिचय देते हुए श्रीराम ने वानरराज बाली द्वारा पूर्वकाल में मारे गए राक्षस दुदंभी के पर्वताकार अस्थिपंजर को अपने पैर के अंगूठे से ऊपर उठाकर खेल-खेल में उसे अति दूर फेंक दिया।
पालने में पड़े शिशु को अक्सर पैर का अंगूठा चूसते देखा जा सकता है। फ्रायड कहता है कि शिशु अपने पैर का अंगूठा मां के स्तन-पान के स्थानापन्न के रूप में चूसता है। किसी के सामने निरुत्तर हो जाने या लज्जा आने या किंकर्तव्यता की स्थिति आने पर पैर का अंगूठा फर्श खुरचने के काम आता है फिर चाहे फर्श कच्चा हो या पक्का।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार हमारे देश की 26 प्रतिशत जनता निरक्षर है। आवश्यकता पड़ने पर ये लोग हस्ताक्षर के स्थान पर बाएं हाथ का अंगूठा-निशान लगाते हैं। कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि अंगूठा-निशान सिर्फ बाएं हाथ का ही लिया जाय। फिर भी बाएं हाथ का ही अंगूठा लगाया जाता है। वास्तव में दाएं हाथ का अंगूठा साक्षर होता है और बाएं हाथ का निरक्षर। दाएं हाथ का अंगूठा दो अंगुलियों का साथ और साक्ष्य लेकर लेखन कार्य करता है। पूरे संसार में बाएं हाथ से लिखने वाले लोगों की संख्या समुद्र में बूंद के समान है। बाएं हाथ का न्यून प्रयोग होने के कारण अंगूठे की रेखाएं अति स्पष्ट होती हैं।
हाथों की अंगुलियों की पहचान अंगूठे के माध्यम से होती है। अंगूठे से पहली अंगुली को तर्जनी कहा जाता है। उससे दूसरी को मध्यमिका, तीसरी को अनामिका और चौथी को कनिष्ठिका कहा जाता है।
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