नई पुस्तकें >> लेख-आलेख लेख-आलेखसुधीर निगम
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समसामयिक विषयों पर सुधीर निगम के लेख
इस प्रयोग से डॉल्फिन मछली की परोपकार-वृत्ति असंदिग्ध रूप से साबित हो गई और प्रोफेसर की यह दृढ़ धारणा बन गई कि यह सेवा-भाव उसकी नैसर्गिक प्रवृत्ति है।
एक अन्य घटना न्यूजीलैण्ड की है। 1940 के दशक की बात है, वहां के होकीआंगा बंदरगाह में एक मानव-प्रेमी डॉल्फिन जील नामक एक तेरह वर्षीया बालिका से इतना हिल-मिल गई थी कि वह उसे दूर तक अपनी पीठ पर बिठा कर सैर करा लाती। प्रायः यह यात्रा निकटवर्ती ओमोपियर ग्राम-तट तक होती। यहीं तक बन्दरगाह फैला हुआ था। इसके बाद वह जील को वापस लौटा लाती। अपनी इस प्रवृत्ति के कारण वह स्थानीय लोगों में ´ओमो´ नाम से लोकप्रिय हो गई। इस घटना से वह इतनी प्रसिद्ध हुई कि न्यूजीलैण्ड में उसके संरक्षण के लिए एक कानून बनाया गया जिसमें ओमो को परेशान करना, उसे पकड़ना, शिकार करने की चेष्टा करना घोर अपराध घोषित किया गया। इस कानून के बाद लोग उसके कौतुकों से अपना मनोरंजन तो करते पर उसे छेड़ने की कोशिश नहीं करते। ओमो भी अपने करतबों द्वारा स्नान करने वालों का खूब दिल बहलाती। उसे जैसे ही जील दिखाई पड़ती वह तुरंत उसके पास पहुंच कर उसे जल-विहार के लिए ले जाती। एक ऐसे ही अवसर पर असावधानीवश जील उसकी पीठ से लुढ़क पड़ी और गहरे जल में डूबने-उतराने लगी। ओमो को ज्यों ही यह ज्ञात हुआ उसने तत्काल डुबकी लगाकर पुनः लड़की को अपने ऊपर बिठा लिया। शायद घटना की गंभीरता का उसने कुछ अनुमान कर लिया था अतः वह और आगे न बढ़कर पीछे लौट चली। तट पर जील को छोड़कर गहरे जल में विलुप्त हो गई। उस दिन के बाद फिर उसके दर्शन न हुए। संभव है, उसे इस दुर्घटना से त्रास पहुंचा हो।
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