लोगों की राय

नई पुस्तकें >> लेख-आलेख

लेख-आलेख

सुधीर निगम

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :207
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 10544
आईएसबीएन :9781613016374

Like this Hindi book 0

समसामयिक विषयों पर सुधीर निगम के लेख

अनोखी मछली : डॉल्फिन

ऐतिहासिक रूप से ´समुद्री सुअर´ कही जाने वाली बोतल की-सी नाक वाली मछली डॉल्फिन का नाम ग्रीक शब्द ´डेलफिश´ से निकला है, जिसका अर्थ होता है गर्भाशय वाली मछली। इसकी लगभग 40 प्रजातियां होती हैं। इनका उद्भव 5 करोड़ वर्ष पूर्व हुआ था। मादा का गर्भकाल 11 से 17 माह तक का होता है। इनका बच्चा उल्टा पैदा होता है- पूंछ पहले सिर बाद में।

डॉल्फिन की लम्बाई 1.5 से 9.5 मीटर तक होती है और वजन 40 किलो से 10 टन तक हो सकता है। इनकी श्रवण शक्ति मनुष्य से 10 गुनी अधिक होती है हालांकि कान बहुत छोटे होते हैं। इनकी दृष्टि तेज होती है परंतु सिंधु नदी में पाई जाने वाली डॅाल्फिन अंधी होती है क्योंकि सिंधु-जल में प्रकाश प्रवेश नहीं कर पाता। ये स्पर्श से अपना काम चलाती हैं। इन्हें संसार के बुद्धिमान जीवों में से एक माना जाता है। इसी कारण ये मनुष्य की दोस्त बनकर पानी में होने वाली दुर्घटनाओं से उसकी रक्षा करती हैं। समूह में रहती हैं जिसकी संख्या एक हजार तक हो सकती है। शार्क से बखूबी मुकाबला करती हैं और उसके चंगुल में फंसे व्यक्ति को सुरक्षित किनारे तक पहुंचा देती हैं।

सामान्य जीव-जन्तुओं को प्रायः निरीह, नासमझ माना जाता है और यह भी कि उनका साहचर्य मनुष्य को मात्र विनोद-मनोरंजन ही दे सकता है, पर यह सत्य नहीं है। कुछ जन्तु ऐसे भी होते हैं, जो सहकारी वृत्ति के होने के कारण मनबहलाव करने के अतिरिक्त मनुष्य की तरह-तरह की सहायता भी करते हैं। यदि उन्हें किसी कार्य विशेष के लिए प्रशिक्षित किया जा सके, तो वे उस क्षेत्र में और भी अधिक बढ़ी-चढ़ी योग्यता का प्रदर्शन करते हैं। इन्हीं में से एक है- डॉल्फिन नामक मछली। डॉल्फिन मनुष्य की दोस्त होती है। ये मछलियां इतनी परोपकारी होती हैं कि जलक्रीड़ा अथवा स्नान के मध्य यदि किसी व्यक्ति का जीवन संकट में पड़ जाय और इसका पता डॉल्फिनों को लग जाय, तो वे तुरंत संकटग्रस्त प्राणी की सहायता के लिए प्रस्तुत होती देखी जाती हैं। इस बात को कुछ घटनाओं के माध्यम से समझा जा सकता है।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book