जीवनी/आत्मकथा >> कवि प्रदीप कवि प्रदीपसुधीर निगम
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राष्ट्रीय चेतना और देशभक्तिपरक गीतों के सर्वश्रेष्ठ रचयिता पं. प्रदीप की संक्षिप्त जीवनी- शब्द संख्या 12 हजार।
‘बंधन’ के अपने गीत ‘रुक न सको तो जाओ तुम’ को यथार्थ करते हुए 11 दिसम्बर 1998 को राष्ट्रकवि प्रदीप का, प्राकृतिक कारणों से, 83 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनके मर्मस्पर्षी गीतों के कारण लोग उन्हें दीवानगी की हद तक प्यार करते थे। उनके निधन के समाचार से स्तब्ध हुए लोगों का सैलाब विले पार्ले स्थित उनके आवास ‘पंचामृत’ की ओर उमड़ पड़ा। अर्थी उठी तो ‘पं. प्रदीप... अमर रहें’ के समवेत उद्घोष से पूरा इलाका थर्रा गया। संगीत निर्देशक सचिन देव वर्मन ने उनके गीत, उनका गायन और स्वर संयोजन देखकर कहा था कि तुम्हें कोई ‘आउट’ नहीं कर सकता। प्रदीप मर कर भी आउट नहीं हुए हैं। वे अब अपनी गीत-पंक्तियों में अमर हो गए हैं।
कवि प्रदीप का फिल्मी रचना-संसार अत्यंत जीवंत और प्राणवान है। उनके गीतों में भावों की गहनता, अर्थ-संपदा की उत्कृष्टता और शिल्पगत श्रेष्ठता विद्यमान है। इससे उनका स्थान जन-जन में ही सुरक्षित न होकर साहित्य में भी सुरक्षित हो जाता है। आवश्यकता इस बात की है कि इस लोकप्रिय कवि की काव्य-साधना का पुनर्मूल्यांकन किया जाए और उन्हें साहित्य में उस स्थान पर समादृत किया जाए जिसके वे सर्वथा योग्य हैं।
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