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धर्म-निरपेक्षता की अनोखी मिसाल बादशाह अकबर की प्रेरणादायक संक्षिप्त जीवनी...
किसको कहेगा तू मइया!
प्रारंभ में शिशु अकबर ने अपनी जननी का ही स्तन-पान किया। बच्चे को मां-जैसा दूध पर्याप्त मात्रा में मिल सके इसके लिए धाय माताओं का प्रबंध किया गया।
सबसे पहले शमसुद्दीन मुहम्मद गजनवी की पत्नी को धाय नियुक्त किया गया और उसे जीजी अनगा की उपाधि दी गई। शमसुद्दीन ने हुमाऊँ को कन्नौज में गंगा नदी के ढालू तट पर चढ़ने में सहायता दी थी। शेरशाह से हारने के बाद हुमाऊँ ने हाथी पर चढ़कर नदी पार की थी।
हमीदा बानू ने शुभ मुहूर्त में बच्चे को जीजी अनगा की गोद में रखा। किंतु वह अभी गर्भवती थी, प्रसव का समय निकट था। अतः, इस बीच, धाय भावल, नदीम कोका की पत्नी फखरे निशा, हकीमा, बीबी रूपा, कोकी अनगा, खालदार अनगा, पीना जान अनगा आदि को अकबर की धाय बनने का श्रेय प्राप्त हुआ। अंत में स्थाई रूप से जीजी अनगा अकबर की धाय बनी। धायों की सूची में माहम अनगा का नाम नहीं है।
संभव है वह धायों की निरीक्षिका रही हो। उसका छोटा बेटा आदम खां अकबर से कई वर्ष बड़ा था। माहम अनगा ने अकबर की बचपन से ही बहुत सेवा की। सदा साथ रही। अकबर भी माहम को बहुत सम्मान देता था। उसी महिला ने बैरम खां जैसे शक्तिशाली व्यक्ति के विरुद्ध झंडा खड़ा किया था।
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