बाल एवं युवा साहित्य >> आओ बच्चो सुनो कहानी आओ बच्चो सुनो कहानीराजेश मेहरा
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किताबों में तो बच्चो की सपनों की दुनिया होती है।
टीचर का सम्मान
बीरू ने पीछे से राजू को आवाज लगाई तो राजू ने पीछे मुड कर देखा। बीरू पीछे से भाग कर आ रहा था। राजू रुका और उससे पूछा, "क्या बात है बीरू?"
बीरू बोला, "आज का एग्जाम कैसा हुआ है।"
राजू बोला, "बहुत अच्छा गया है।"
तो इस पर राजू ने पूछा, "तुम्हारा कैसा गया? " तो वो बोला कि ठीक ठाक है लेकिन ज्यादा नंबर नहीं आयेंगे, केवल पास हो सकता हूँ।
राजू बोला, "मैंने तुझे कहा था कि मेरे घर पढ़ने आ जाया करो जिससे हम दोनों साथ में पढेंगे तो पढ़ाई में मन लगेगा और कोई सवाल समझ नहीं आता है तो दोनों साथ में बात कर के हल कर सकते हैं।"
बीरू को राजू की बातें अच्छी नहीं लग रही थीं। वो बोला, "राजू तुम्हें तो पता है कि सारे टीचर मुझसे चिढ़ते हैं, इसी कारण वो मुझे कम नंबर देते हैं, चाहे मैं कितना भी पढ़ लूँ लेकिन वो मुझे एग्जाम में अच्छे नंबर नहीं देंगे इसीलिए सारे टीचर मुझे अच्छे नहीं लगते।"
राजू बोला, "बीरू, ये तुम्हारी गलत फहमी है। हमारे स्कूल के सारे टीचर बहुत अच्छे हैं और वो किसी के साथ भेदभाव नहीं करते हैं।"
इस पर बीरू ने ऐसा मुँह बनाया जैसे कि उसे राजू कि बातें बिलकुल भी पसंद ना आई हों। राजू बोला, "अच्छा यदि ये साबित हो जाए कि सारे टीचर तुमसे नहीं चिढ़ते तो क्या तुम उनका सम्मान करोगे।"
इस पर बीरू बोला, "वैसे तो वो मुझसे चिढ़ते हैं और यदि तुम ये साबित कर दो कि वो नहीं चिढ़ते तो मैं उनका सम्मान करूंगा और पढ़ाई में भी मन लगाऊंगा।"
राजू ने कहा, "ठीक है कल तुम अपना पेपर सही करके आना और फिर दिखाता हूँ कि वो तुमसे चिढ़ते नहीं हैं और इसके लिए आज रात को मेरे साथ पढ़ना पड़ेगा जिससे कि हम दोनों साथ तैयारी करेंगे और अच्छे नंबर लाने की कोशिश करेंगे।"
बीरू ने कहा, "ठीक है।"
शाम को बीरू राजू के घर आ गया और वो लोग अपने कल के एग्जाम की तैयारी करने लगे। उन दोनों ने देर रात तक तैयारी की और बीरू रात को राजू के घर पर ही सो गया। सुबह बीरू उठकर अपने घर फ्रेश होने गया और फिर तैयार होकर स्कूल की तरफ चल दिया। रास्ते में उसे राजू मिला और दोनों स्कूल पहुंचे। रास्ते में राजू ने बीरू को अपनी शर्त को बताया तो बीरू बोला, "हाँ राजू मुझे याद है।"
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