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बाल एवं युवा साहित्य >> आओ बच्चो सुनो कहानी

आओ बच्चो सुनो कहानी

राजेश मेहरा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :103
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 10165
आईएसबीएन :9781613016268

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किताबों में तो बच्चो की सपनों की दुनिया होती है।

राजू भी गर्व महसूस कर रहा था। समय बीता तो पता चला कि डायरेक्टर्स सभी बच्चों के क्लास रूम के राउंड्स पर निकल पड़े हैं और वो करीब पांच लोग हैं और प्रिंसिपल भी उनके साथ हैं।

राजू और उसके सभी साथी भी अपनी जगह शांत बैठ गए। थोड़ी देर में ही डायरेक्टर्स और प्रिंसिपल ने उनके क्लास रूम में प्रवेश किया।

सभी स्टूडेंट्स ने खड़े होकर उनका सम्मान किया। डायरेक्टर्स ने सभी बच्चों को बैठने को कहा। उसके बाद उनमें से एक डायरेक्टर बोला कि हम आपकी क्लास में जो सबसे होनहार बच्चा है उसे इनाम देंगे।

राजू का चेहरा खिल गया - अब तो उसका इनाम पक्का। क्लास के टीचर ने तीन स्टूडेंट्स का नाम लिया जो उस क्लास में सबसे होशियार थे। उसमें राजू का नाम प्रथम था।

तीनों स्टूडेंट्स को क्लास टीचर ने आगे आने को कहा। राजू और दो स्टूडेंट्स आगे आकर खड़े हो गए। राजू ने बीरू की तरफ गर्व से देखा तो बीरू ने भी स्माइल दे दी। उसके बाद सारे डायरेक्टर्स राजू समेत उन तीनों बच्चों की तरफ देखने लगे।

तीनों की तरफ देखकर एक डायरेक्टर ने क्लास टीचर से पूछा कि इन तीनो में प्रथम कौन है तो क्लास टीचर ने राजू की तरफ इशारा कर दिया।

उसके बाद तो उनमें से एक डायरेक्टर ने क्लास टीचर को सबके सामने डांटना शुरू कर दिया। वो बोले, "क्लास टीचर जी, आपने इसे ही प्रथम क्यों चुना?"

तो टीचर सकपका कर बोला, "सर, राजू हर विषय में अच्छे नंबर लाता है और समय पर स्कूल आता है और सब टीचर्स का भी सम्मान करता है।"

इस पर डायरेक्टर बोला, "आपने इसके जूते देखे हैं? जो व्यक्ति अपने जूतों को साफ़ नहीं रख सकता वो आगे जाकर अच्छा स्टूडेंट व व्यक्ति नहीं बन सकता। अब तो राजू के पसीने आने लगे उसने दुसरे दोनों स्टूडेंट्स को देखा तो उनके जूते चमक रहे थे और उसके जूते ऐसे लग रहे थे जैसे किसी कीचड़ में से निकला हो। उसी समय डायरेक्टर ने राजू से अगले स्टूडेंट को इनाम दिया और कहा जो स्टूडेंट पढ़ाई के साथ अपनी साफ़ सफाई रखता है वही स्टूडेंट फर्स्ट है। इनाम देकर डायरेक्टर्स चले गए और राजू भी बहुत निराश हुआ की माँ के कहने पर भी उसने अपने जूते साफ़ नहीं किये वरना आज इनाम उसे मिलता। उसके क्लास टीचर ने भी राजू को अपने जूते साफ़ ना रखने के लिए डांटा। उसको अपनी गलती का अहसास था उसने घर जाकर माँ को सारी बात बताई और आगे से अपने जूतों को साफ़ रखने की कसम खाई। माँ बोली देखा राजू सफाई का कितना महत्व है, चलो ये भी अच्छा हुआ की तुम जल्दी ही सीख गया। राजू अपनी माँ से लिपट गया माँ ने उसके सिर पर हाथ फेरा।

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