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बाल एवं युवा साहित्य >> आओ बच्चो सुनो कहानी

आओ बच्चो सुनो कहानी

राजेश मेहरा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :103
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 10165
आईएसबीएन :9781613016268

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किताबों में तो बच्चो की सपनों की दुनिया होती है।

राजू के पापा के इतना कहते ही जोनी अंकल की आँखों में आंसू आ गए और वो पापा के गले लग गए और बोले, "आज तक किसी ने हमारे साथ क्रिसमस नहीं मनाया। आप का बहुत-बहुत धन्यवाद, जो आप आज हमारे साथ ये त्यौहार मना रहे हो।"

राजू के पापा बोले, "जोनी जी, इसमें राजू का भी बड़ा हाथ है क्योंकि ये हर त्यौहार को मनाना चाहता है इसीलिए हमने भी प्रण किया है कि हम सब मोहल्ले वालों से बात करके जितने भी त्यौहार होंगे सब मनाएंगे चाहे वो ईद हो या दिवाली, क्रिसमस या फिर गुरुनानक जी का जन्मदिन हम सब एक साथ मनाएंगे और एक दूसरे की खुशियों में शामिल होंगे।"

जोनी अंकल अपने पूरे परिवार के साथ राजू के घर पहुंचे वहाँ पर भी उन्होंने क्रिसमस ट्री को सजाया और एक दूसरे को बधाई दी। राजू की माँ ने भी पकवान व मिठाइयाँ तैयार की हुई थीं। उन लोगों ने उनको खाया और जोनी अंकल ने राजू की माँ को भी धन्यवाद कहा।

रात के 12 बजने पर राजू और जोनी अंकल के बेटे ने सांता क्लाज के कपड़े पहने और जो गिफ्ट वो लोग बाजार से लाये थे उनको साथ लिया और मोहल्ले में सबके साथ बांटने के लिए चल दिए।

पूरा मोहल्ला देख रहा था कि ये हो क्या रहा है, तो राजू के पापा उनको कहते जा रहे थे कि आज से हम सब मिलकर सारे त्यौहार मनाएंगे और इसकी शुरुआत मैंने, राजू और जोनी जी ने कर दी है। सारे मोहल्ले वाले भी अब सहमत थे। राजू की माँ राजू की तरफ देख कर बोली, "राजू तुमने तो आज मुझे एक नए त्यौहार के बारे में बता दिया जिसका मुझे इतने सालों से पता ही नहीं था।"

राजू मुस्कुरा कर रह गया था। जोनी अंकल बार-बार राजू के सिर पर हाथ रख कर उसे आशीर्वाद दिए जा रहे थे।

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