बाल एवं युवा साहित्य >> आओ बच्चो सुनो कहानी आओ बच्चो सुनो कहानीराजेश मेहरा
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किताबों में तो बच्चो की सपनों की दुनिया होती है।
चिड़िया ने सोचा बन्दर इस तरह नहीं मानेगा, उसे कुछ और करना चाहिए। अगले दिन वह चिड़िया अपनी तीन-चार चिड़िया सखियों को और लेकर आयी और उस घर की छत पर बैठ गई। जैसे ही बन्दर आया उन सबने मिलकर ची-ची करके हल्ला मचाना शुरू कर दिया और उसके सिर पर अपनी चोंच से से प्रहार करना शुरू कर दिया जिससे बन्दर घबरा गया और भाग गया।
उन्होंने ये सब तीन-चार दिन किया जिससे बन्दर समझ गया कि अब वह यहाँ पर और मस्ती नहीं कर सकता और उसने आना बंद कर दिया।
घर की मालकिन ये सब देख और समझ रही थी कि किस तरह चिड़िया ने अपनी सखियों के साथ बन्दर को भगाने में सहायता की है। उसने सारी बात अपने पति और बच्चों को बताई, वे सब बहुत अचंभित व खुश हुए। बन्दर के भाग जाने से उस घर के व मोहल्ले के बच्चे सबसे ज्यादा खुश थे, अब उन्हें खेलने पर कोई परेशान करने वाला नहीं था।
उस घर के मालिक व मालकिन ने बाद में अपने पड़ोसियों को भी ये बात बताई इसके बाद सारे लोग चिडियों के लिए खाना और पानी रखने लगे। सारे लोगों ने मिलकर चिड़ियों के पौधे भी लगाये ताकि वे उनकी छांव में बैठ कर गर्मियों में आराम कर सकें। सारे मोहल्ले वालों ने चिड़ियों के लिए कृत्रिम रहने के स्थान भी अपने छतों पर बनवाए। अब चिड़िया खुश थी क्योंकि अब उसकी सब सखियों के लिये भी गर्मियों में प्रयाप्त पानी व छाँव थी। उनको अब आसानी से पानी व खाना मिल रहा था जिसके कारण अब वो ज्यादा देर तक अपना काम आसानी से कर पाती थी।
चिड़िया ने सारे मोहल्ले के लोगों का मन ही मन धन्यवाद किया। सारी चिड़ियाँ अब उस मोहल्ले में आराम से रहती थीं। सुबह-शाम चिड़ियों की आवाज सुनकर वहाँ रहने वाला प्रत्येक व्यक्ति बड़ा खुश होता था। वे सब लोग वाहनों व शहर के शोर-शराबे से इतना तंग आ चुके थे कि चिड़ियों की ची-ची की आवाज उनको बहुत सुकून देती थी। चिड़िया रानी भी उस मोहल्ले में रह कर खुश थी।
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