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बाल एवं युवा साहित्य >> आओ बच्चो सुनो कहानी

आओ बच्चो सुनो कहानी

राजेश मेहरा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :103
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 10165
आईएसबीएन :9781613016268

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किताबों में तो बच्चो की सपनों की दुनिया होती है।

प्यासी चिड़िया


एक चिड़िया थी। एक दिन उसको बहुत गर्मी लगी और उसकी वजह से उसे प्यास भी बहुत लग रही थी। वह बहुत देर तक पानी के लिए इधर-उधर उड़ती रही लेकिन उसे शहर में न कहीं पानी मिल रहा था और न ही कहीं चिलचिलाती धूप में गर्मी से बचने के लिए पेड़।

पानी और पेड़ ढूँढ़ते हुए उसका बुरा हाल था, अचानक उसने देखा कि एक घर की छत पर एक मिट्टी के बर्तन में पानी रखा था और साथ में एक छोटा पौधा भी लगा था। उसको देख कर वह बहुत खुश हुई। वह जल्दी से उसके पास पहुंची और उसने जी भर के पानी पिया और पौधे के नीचे बैठ कर आराम भी किया। उसको बहुत सुकून मिला। लग रहा था कि उसकी जान ही निकल जाती यदि उसे जल्दी पानी नहीं मिलता।

कुछ देर बाद उसने सोचा इस घर में रहने वाले लोग कितने अच्छे हैं मैं इनको दिल से दुआ देती हूँ कि ये सब समृद्ध रहें, उसने सोचा कि काश मैं इनकी कुछ मदद कर पाती।

अचानक उसने देखा कि एक बन्दर कहीं से आया और जिस छत पर पानी रखा हुआ था, उन घर वालों की छत पर चढ़ कर धमा-चौकड़ी करने लगा। उसने छत पर सूख रहे कपड़ों को इधर-उधर फ़ेंक दिया और वहाँ पर रखे सामान को अस्त-व्यस्त कर दिया जिससे उसमें रहने वाले बच्चे और घर की मालकिन डर गयी थीं। वे लोग बहुत ज्यादा घबराये हुए थे। डर के मारे वो लोग घर से निकल भी नहीं रहे थे। लगता था कि उस घर का मालिक घर पर नहीं था। कुछ देर बाद बन्दर सब कुछ ख़राब करके चला गया तो मालकिन बाहर आकर बोली, "भगवान, इस बन्दर से हमें कौन बचाएगा? इसने मोहल्ले वालों का जीना हराम कर रखा है। कई लोगों को काट चुका है। कई लोगों की तो इसकी वजह से जान तक जाते हुए बची है। लोग इसकी वजह से घरों से नहीं निकल पाते। इसके कारण बच्चे आँगन में खेल भी नहीं पाते। यदि बच्चे बाहर खेलने आते हैं तो ये बन्दर उनको इतना डरा देता है कि वे घर से बाहर ही नहीं निकलते।"

चिड़िया ये सब देख रही थी उसने अब इस घर की मदद करने की सोची। अगले दिन वह उसी समय उस घर की छत पर पहुंची और बन्दर का इंतजार करने लगी। थोड़ी देर बाद बन्दर को आता देख चिड़िया ने ची-ची करके शोर मचाना शुरू किया जिससे कि बन्दर भाग जाये लेकिन बन्दर उसकी धीमी आवाज से विचलित नहीं हुआ। चिड़िया ने काफी प्रयास किया लेकिन आखिर में थक कर बैठ गई। बन्दर ने फिर से घर वालों का सामान अस्त-व्यस्त कर दिया और बच्चे डर से फिर बाहर नहीं निकले। घर की मालकिन परेशान होकर बन्दर को घर के अन्दर से बहुत ज्यादा बुरा-भला कह रही थी।

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