बाल एवं युवा साहित्य >> आओ बच्चो सुनो कहानी आओ बच्चो सुनो कहानीराजेश मेहरा
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किताबों में तो बच्चो की सपनों की दुनिया होती है।
राजू के पापा थोड़ा चुप होकर बोले, "हमें थोड़े में संतुष्ट होना चाहिए। ये भी तो देखो मेरे पास पैसा कम तो है लेकिन में स्वस्थ तो हूँ। बिमला के पति का चिंता के कारण दो बार बाईपास दिल का ऑपरेशन हुआ है क्योंकि पैसे का सुख तो है लेकिन काया का सुख नहीं है।"
इसपर राजू कि माँ बोली, "मैं आपकी सारी बात समझ गई लेकिन हमारी छोटी से छोटी जरूरतें भी भगवान् पूरी नहीं कर पाते हैं, हमने कौन से गलत कर्म किये हैं।"
राजू के पापा बोले, "अच्छा चलो मैं कल से गलत काम करके पैसे लाने भी लगा और उसी पैसे के कारण मुझे जेल हो जाये तो क्या तुम लोगों को ये मंजूर होगा।"
राजू ने कहा, "पापा, लेकिन हम ही लोगों को हर चीज की कमी क्यों रहती है।"
राजू के पापा समझ गए थे कि राजू और उसकी माँ इतनी आसानी से नहीं समझेंगी। अगले दिन से राजू के पापा ने हर चीज खरीदनी शुरू कर दी। वे टीवी, मोटरसाइकिल व राजू और उसकी माँ की हर पसंद की चीज को लाने लगे। राजू और उसकी माँ खुश थे लेकिन उन्होंने राजू के पापा से एक बार भी नहीं पूछा के ये सब वो कहाँ से ला रहें हैं।
महीना बीत गया अब राजू के पापा लेट आने लगे और कभी तो अगले शाम को आते। अब राजू की माँ ने पूछा, "आप इतना लेट कैसे आते हो और कई बार तो आते ही नहीं।"
राजू के पापा बोले, "तुम लोगों को जो चीजें लाकर दी हैं उसके पैसे चुकाने के लिए मुझे ऑफिस में ज्यादा काम करना पड़ रहा है।"
अब राजू की माँ ने देखा कि राजू के पापा ज्यादा कमजोर भी हो गए हैं और वो ज्यादा खाना भी नहीं खा रहे जिसके कारण वो बीमार भी रहने लगे। उनकी इतनी तबियत इतनी ख़राब हो गई कि उन्हें हॉस्पिटल में जाना पड़ा। राजू की माँ ने डॉक्टर से पूछा इन्हें क्या हुआ है तो डॉक्टर बोले - ज्यादा काम और स्ट्रेस की वजह से ये बीमार हुए हैं।
अब राजू को और उसकी माँ को समझ आ गया था कि हम पहले ज्यादा खुश थे। चाहे हमारे पास चीजें कम थीं लेकिन हम सब स्वस्थ और खुश थे। राजू और उसकी माँ बोली कि आज से आप कुछ ज्यादा काम नहीं करोगे और हमारे पास जो भी थोड़ा कुछ है हम उसी से खुश रहेंगे।
राजू के पापा खुश थे और बोले, "देखा, थोड़े से सुख के लिए हमने कितना दुःख ले लिया इसलिए हमें भगवान् ने जितना दिया उसी में खुश रहना चाहिए।
राजू और उसकी माँ ने स्वीकृति से सिर हिलाया।
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