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बाल एवं युवा साहित्य >> आओ बच्चो सुनो कहानी

आओ बच्चो सुनो कहानी

राजेश मेहरा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :103
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 10165
आईएसबीएन :9781613016268

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किताबों में तो बच्चो की सपनों की दुनिया होती है।

लेकिन बीरू और उसके दोस्त उसका मजाक उड़ाने लगे- "अरे राजू डरते हो क्या।"

इस पर राजू ने कुछ नहीं कहा, वो लोग आगे बढ़ गए तो मजबूरन उसे भी उनके पीछे चलना पड़ा क्योंकि टीचर ने साथ रहने के लिए कहा था। बहुत आगे आने पर राजू बोला आओ अब तो चलें वापिस। अब बीरू के दोनों दोस्त भी कहने लगे आओ बीरू वापिस चलें लेकिन बीरू आगे चलता ही रहा। आखिर में राजू बोला, "बीरू, तुम चले ही जा रहे हो ये भी सोचा कि हमें जाने का रास्ता पता है या नहीं क्योंकि जंगल बहुत घना है और अब सूरज भी नहीं दिखाई दे रहा।"

अब बीरू थोड़ा रुका और बोला, "चलो अब चलते हैं।" सब लोग चलने के लिए वापिस मुड़े तो घबरा गए क्योंकि घने जंगल में उन्हें जाने का रास्ता दिखाई नहीं दे रहा था। सूरज भी छिपने वाला था। अब बीरू बोला, "चलो, चलते हुए रास्ते को खोजते हैं।"

राजू बीरू के पीछे चलने लगा लेकिन रास्ता नहीं दिख रहा था क्योंकि चारों तरफ पेड़ ही पेड़ थे, रास्ता था ही नहीं। अब वे चारो घबरा गए कि वे लोग फँस चुके थे। राजू, बीरू और दोनों दोस्तों से बोला, "मैं इसीलिए कह रहा था कि आगे मत चलो अब देख लिया अंजाम।"

बीरू और उसके दोनों दोस्त अब रोने कि स्थिति में थे। वे राजू से बोले, "राजू, कुछ करो शाम भी होने वाली है और हम जंगल में फँस सकते हैं।"

राजू को एकदम से याद आया और उन सबको कहा कि सूखी पत्तियां और लकड़ी जल्दी से इकट्ठी करो, सब लोग वैसा ही करने लगे। थोड़ी देर में उन लोगों ने लकड़ी का ढेर लगा लिया था। बीरू बोला, "राजू तुम क्या करने वाले हो?"

तो वह बोला हम लकड़ी जलाएंगे और इससे जो धुआँ निकलेगा तो हमारे टीचर और सारे बच्चे हमारी पोजीशन जान जायेंगे और हमें लेने आ जायेंगे।"

"राजू तुमने ये कहाँ से सीखा?" तो उसने बताया कि ये सब उसने टीवी में देखा था। फिर बीरू बोला, "लेकिन राजू हम आग किससे जलाएंगे?" तो राजू ने अपने कैमरे की बैटरी निकाली और उसके चार्जिंग पॉइंट्स को म्यूजिक सिस्टम की लीड से टच किया तो उसमें स्पार्क हुआ और उससे उसने लकड़ी में आग लगा दी। आग लगने लगी तो उन्होंने कुछ गीली पत्तियाँ उसपर दाल दीं जिससे धुआं और ऊपर तक होने लगा।

थोड़ी देर बाद ही उन्होंने देखा कि उसकी टीचर और बच्चे वहाँ पहुँच गए। टीचर ने उन सबको डांटा। उन सब ने माफ़ी मांगी लेकिन बीरू बोला, "मैडम ये मेरी गलती थी इनकी कोई गलती नहीं है इसलिए मुझे माफ़ कर दो।"

उसके बाद बीरू ने बताया कि किस तरह राजू ने आपको सिग्नल देने के लिए धुआँ किया और आग कैसे जलाई।

टीचर ने राजू को मुसीबत में हिम्मत न हारने और सिग्नल देने के लिए तारीफ़ की। फिर टीचर बोली, "आओ अब सब चलें। हमने आने के रास्ते पर निशान लगाये थे अब हम आसानी से जंगल पार कर लेंगे। सब लोग साथ-साथ हो लिए।

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