ई-पुस्तकें >> ऑथेलो (नाटक) ऑथेलो (नाटक)रांगेय राघव
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Othello का हिन्दी रूपान्तर
इआगो : बहुत!
ऑथेलो : सचमुच! फिर भी कितने दुःख की बात है इआगो! इआगो! कैसे शोक की बात है इआगो!
इआगो : यदि उसके पाप के बावजूद आप उसे इतना प्रेम करते हैं, तो दीजिए न उसे आज्ञा कि वह पाप करती रहे! क्योंकि यदि इससे आपको कोई कष्ट नहीं है, तो इसकी वेदना किसी और को तो है नहीं?
ऑथेलो : मैं उसके टुकड़े-टुकड़े कर दूँगा।
इआगो : यह तो बहुत बुरा किया उसने!
ऑथेलो : तब मेरे अफसर के साथ ही ऐसा काम?
इआगो : यही तो और भी बुरा हुआ।
ऑथेलो : इआगो! आज रात मुझे ज़हर दे दो। मैं उससे तर्क नहीं करूँगा। कहीं उसके रूप और सौन्दर्य मुझे निर्बल न बना दें। आज रात मुझे यह करना ही होगा इआगो!
इआगो : नहीं! विष न दें! इससे तो अच्छा है कि जिस शथ्या पर उसने आपसे विश्वासघात किया है उसी पर आप उसका गला घोंट दें।
ऑथेलो : ठीक है! ठीक है! मुझे इस योजना में औचित्य लगता है।
इआगो : और कैसियो से निबटने के लिए मुझे छोड़ दीजिए। हम फिर मिलेंगे और आधी रात को निश्चय करेंगे!
ऑथेलो : अच्छी बात है। (भीतर तूर्य-निनाद सुनाई देता है।) यह किसका तूर्यनाद है?
इआगो : निश्चय ही, कोई वेनिस से आया है। शायद ड्यूक के पास से लोडोविको आया है और उसके साथ तुम्हारी स्त्री है।
(लोडोविको, डैसडेमोना और सेवकों का प्रवेश)
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