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ऑथेलो (नाटक)

रांगेय राघव

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2015
पृष्ठ :184
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 10117
आईएसबीएन :978161301295

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Othello का हिन्दी रूपान्तर

(बियान्का का प्रवेश)

बियान्का : अरे! मेरे दोस्त! कैसियो!

कैसियो : तुम घर से दूर क्या कर रही हो? मेरी प्रिये! सुन्दरी बियान्का! अच्छी तो हो! सच प्रिये! मैं तो तुम्हारे ही घर आ रहा था!

बियान्का : और मैं तुम्हारे निवासस्थान की ओर जा रही थी कैसियो! हफ्ते-भर से तुम नहीं आए। सात दिन, सात रातें! उफ़, कितना समय निकाल दिया तुमने? और प्रेमियों के घण्टे! घड़ियाल में नहीं बजते ये घण्टे, हृदय में बजते हैं। गिनते-गिनते थक गई।

कैसियो : क्षमा करो बियान्का, मुझे मुसीबतों ने परेशान कर दिया है। यह जो मेरी लम्बी गैरहाज़िरी रही है इसका मुआवज़ा मैं किसी ऐसे वक़्त ज़रूर चुका दूँगा जिसमें मुझे ज़रा और आज़ादी होगी। प्रिय बियान्का! तब तक मेरे लिए तुम इस रूमाल की नकल काढ़ देना।

(डैसडेमोना का रूमाल देता है।)

बियान्का : अरे! यह तुम्हें कहाँ मिला कैसियो! यह बात है! तब तो तुम्हारी अनुपस्थिति का कारण है! किसी नई मित्र से उपहार लेने में लगे रहते हो! यह बात है! समझ गई।

कैसियो : क्या फिजूल की बातें करती हो! जिस शैतान ने तुम्हारे मुँह में ऐसे विचार रखे हैं उन्हें उसीपर उगल दो! शायद तुम्हें इसकी जलन है कि इसे मुझे किसी प्रेमिका ने भेंट कर दिया है कि यह यादगार बनी रहे। नहीं बियान्का! ऐसी बात नहीं है।

बियान्का : तो बताओ फिर? यह है किसका?

कैसियो : मैं नहीं जानता प्रिये! मुझे अपने कमरे में पड़ा मिला। इसके ऊपर अच्छी कढ़ाई है। इससे पहले कि इसकी मालकिन इसे वापस माँग बैठै, मैं चाहता हूँ मेरे पास इसकी एक नकल रह जाए। यह तुम कर दो न! और इसी समय चली जाओ।

बियान्का : क्यों, तुम अकेले रहोगे?

कैसियो : मैं यहाँ जनरल की सेवा में हूँ और न मेरे लिए यह ठीक ही है, न फायदेमन्द ही कि एक औरत के साथ देखा जाऊँ।

बियान्का : क्यों, उसमें क्या बात है?

कैसियो : तुम यह न समझो कि मैं तुम्हें नहीं चाहता।

बियान्का : पर तुम मेरी परवाह नहीं करते। यह भी नहीं कि दस कदम मुझे पहुँचा ही देते! बताओ न, आज रात को आओगे?

कैसियो : मैं बस थोड़ी दूर ही चल सकता हूँ क्योंकि मुझे फिर जनरल की सेवा में उपस्थित रहना है। मैं शीघ्र ही तुमसे निश्चय मिलूँगा।

बियान्का : अच्छी बात है! मुझे भी परिस्थिति के अनुसार ही चलना होगा।

(प्रस्थान)

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