ई-पुस्तकें >> ऑथेलो (नाटक) ऑथेलो (नाटक)रांगेय राघव
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Othello का हिन्दी रूपान्तर
ऑथेलो : हाँ! मैं ऐसा नहीं कर रहा।
इआगो : प्रभु, यदि आप ऐसा करेंगे तो मेरी जीभ से निकली बातों का इतना बुरा परिणाम निकलेगा कि जिसकी मैंने आशा भी नहीं की थी। कैसियो मेरा सम्माननीय, योग्य और प्रिय मित्र है। मेरे स्वामी! आप पर न जाने क्या प्रभाव पड़ गया है!
ऑथेलो : नहीं, मुझपर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। मैं तो डैसडेमोना को अच्छी और ईमानदार के अतिरिक्त और कुछ नहीं मानता।
इआगो : वह ऐसी सदैव रहें! और आप भी सदैव यही सोचते रहें!
ऑथेलो : और फिर भी मैं सोचता हूँ कि प्रकृति अपने स्वाभाविक पथ को छोड़कर किस प्रकार...
इआगो : हाँ, यही तो असली बात है। अब स्पष्ट कह दूँ। अपनी स्वाभाविक सहज प्रकृति छोड़ सकी वह कि उसने अपनी ही जाति, देश और वर्ण के, उन समस्त गुणों से युक्त जिनके प्रति कि उसका आकर्षण था-कुलीन पुरुषों का त्याग कर दिया। धिक्कार है! और यही एक अत्यन्त अप्राकृतिक, अनहोनी-सी अस्वाभाविक बात दिखाई देती है। किन्तु क्षमा करें, मेरा कथन तो एक सर्वसाधारण के लिए है और डैसडेमोना के प्रति केन्द्रित नहीं है। यद्यपि मुझे आशंका है कि उसका रुख, अपनी बुद्धि में स्थिरता पाने पर बदला, और उसने अपने देशवासियों से आपकी तुलना की और सम्भवत: इस विवाह पर खेद हुआ, पश्चात्ताप ही हुआ।
ऑथेलो : विदा! विदा! अगर कुछ और देखो तो मुझे बताना। अपनी स्त्री से कहना कि हर बात को गौर से देखती रहे। अब मुझे छोड़ जाओ।
इआगो : मेरे स्वामी, मुझे आज्ञा दें।
(प्रस्थान)
ऑथेलो : आह! मैंने विवाह ही क्यों किया! यह ईमानदार आदमी और भी, निश्चय से, बहुत कुछ जानता है, जो यह बतलाता नहीं।
इआगो : (लौटकर) स्वामी! मैं प्रार्थना करता हूँ कि आप इस विषय को यहीं रोक दें और खोजबीन न करें! अभी रुकें और देखें कि क्या-क्या होता है? इसमें शक नहीं कि कैसियो को उसका पद फिर देना चाहिए क्योंकि वह उसके योग्य है, फिर भी कुछ दिन के लिए अभी इस नियुक्ति का साधन नहीं समझता। आप इस पर भी ध्यान दें कि कहीं डैसडेमोना कैसियो की नियुक्ति के लिए बहुत ज़्यादा ज़ोर तो नहीं देती। इसी से सारा मामला स्पष्ट हो जाएगा। इस दौरान में मुझे डर है और मुझे डरने के कारण भी है, क्योंकि जहाँ तक मैं समझता हूँ, यह सब व्यर्थ का सन्देह ही प्रमाणित होगा। डैसडेमोना पवित्र हैं। यही मेरी प्रार्थना है।
ऑथेलो : तुम इस बात से मत डरो कि मैं आत्मसंयम खो बैठूँगा।
इआगो : तब मैं चलूँ!
(प्रस्थान)
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