ई-पुस्तकें >> ऑथेलो (नाटक) ऑथेलो (नाटक)रांगेय राघव
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Othello का हिन्दी रूपान्तर
दृश्य - 3
(दुर्ग का उद्यान)
(डैसडेमोना, कैसियो और इमीलिया का प्रवेश)
डैसडेमोना : विश्वास रखो कैसियो! मैं तुम्हारी ओर से जितना कुछ कह सकूँगी, अवश्य कहूँगी।
इमीलिया : यही करें देवी! इस विषय में मेरे पति भी बड़े दुःखी हुए हैं, ऐसे-जैसे यह आपत्ति उन्हीं पर पड़ी हो।
डैसडेमोना : निश्चय ही तुम्हारे पति बड़े ईमानदार हैं। इसमें सन्देह मत करो कि मैं तुम्हें अपने स्वामी के विश्वास और मैत्री का पात्र बनाने में कुछ उठा रखूँगी।
कैसियो : ओ दयालु देवी! मुझे चाहे जो कुछ हो जाए, मैं सदैव आपका वफादार और सच्चा सेवक बना रहूँगा।
डैसडेमोना : हाँ-हाँ, इसके लिए मैं तुम्हें धन्यवाद देती हूँ। तुम अवश्य ही मेरे पति से परिचित हो। तुम बहुत दिनों तक उनके साथ रहे हो और मैं देखूँगी कि राजनीति की आवश्यकता से अधिक वे तुम्हारे प्रति उपेक्षा-भाव नहीं रखेंगे।
कैसियो : किन्तु राजनीति के मामले तो उन्हें न जाने कितने दिन मुझसे दूर रखेंगे; हो सकता है कि कुछ कल्पित और आधारहीन घटनाएँ बन जाएँ या आवश्यकता से अधिक तूल दिया जाए कि मेरी अनुपस्थिति में मेरी जगह ही भर जाए और जनरल अपने प्रति मेरे प्रेम और मेरी अतीत को सेवाओं को ही भूल जाएँ।
डैसडेमोना : इस विषय में ऐसी आशंकाएँ मत करो! इमीलिया के सामने मैं यह दृढ़ प्रतिज्ञा करती हूँ कि तुम्हें तुम्हारा पद पुन: प्राप्त होगा। यदि मैं मैत्री-भाव से वचन देती हूँ तो सदैव उसका अक्षरश: पालन भी करती हूँ। मैं अपने पति को चैन नहीं लेने दूँगी, मैं उन्हें सोने नहीं दूँगी, जब तक वे मान न जाएँ, और तब तक इस विषय पर बातें करूँगी जब तक वे स्वीकार ही न कर लें। शथ्या पर मैं उनसे एक शिक्षक के समान बातें करूँगी। भोजन के समय मैं उस स्थान को पश्चात्ताप की भूमि बना दूँगी। जो कुछ वे करते हैं हर जगह कैसियो का मामला घुल-मिल जाएगा। इसलिए चिन्ता छोड़ दो, क्योंकि तुम्हारी वकील मैं मर भले ही जाऊँ, लेकिन तुम्हारी बात को भूलूँगी नहीं।
(कुछ दूरी पर ऑथेलो और इआगो का प्रवेश)
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