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ऑथेलो (नाटक)

रांगेय राघव

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2015
पृष्ठ :184
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 10117
आईएसबीएन :978161301295

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Othello का हिन्दी रूपान्तर

मैंने कभी फ्लोरेंसवासी को इतना दयालु और ईमानदार नहीं देखा।

(इमीलिया का प्रवेश)

इमीलिया : नमस्कार लेफ्टिनेण्ट! मुझे तुम्हारे प्रति स्वामी के असंतोष की बात जानकर बहुत दुःख हुआ, परन्तु विश्वास रखो, मुझे आशा है सब ठीक ही होगा, जनरल और उनकी पत्नी इसी विषय पर बात-चीत कर रहे हैं और देवी तुम्हारी ओर से ज़ोर देकर कह रही हैं। किन्तु मूर का कहना है कि जिस व्यक्ति को तुमने घायल किया है वह साइप्रस का एक बड़ा प्रभावशाली और महत्त्वपूर्ण व्यक्ति है और राजनीति के दृष्टिकोण से वे तुम्हें निकालने के अतिरिक्त और कुछ कर भी नहीं सकते थे। फिर भी उन्होंने तुम्हारे प्रति अपने प्रेम को स्वीकार किया है और तुम्हें तुम्हारे पद को पुन: प्राप्त कराने की चेष्टा में वे सबसे पहला अवसर प्राप्त करते ही अपनी पसन्द को ही सबसे अधिक स्थान देंगे, और किसी के सिफारिश करने की ज़रूरत ही क्या है।

कैसियो : फिर भी मैं तुमसे प्रार्थना करता हूँ अगर तुम बुरा न मानो तो, और हो सके तो मुझे डैसडेमोना से एकान्त में बातें करने का कुछ सुयोग अवश्य दोगी।

इमीलिया : आइए! भीतर आ जाएँ! मैं आपको ले चलती हूँ जहाँ आपको उनसे किसी तरह की रुकावट के बिना बातचीत करने का, अपनी बात कहने का काफी समय मिलेगा।

कैसियो : इसके लिए मैं सचमुच आपका बहुत आभारी होऊँगा।

(प्रस्थान)

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