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ऑथेलो (नाटक)

रांगेय राघव

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2015
पृष्ठ :184
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 10117
आईएसबीएन :978161301295

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Othello का हिन्दी रूपान्तर

 

दृश्य - 3

(दुर्ग का एक विशाल प्रकोष्ठ)

(ऑथेलो, डैसडेमोना, कैसियो और सेवकों का प्रवेश)

ऑथेलो : प्रिय माइकिल! आज रात को प्रहरियों पर तुम स्वयं दृष्टि रखना! प्रत्येक कार्य में नियमित मर्यादा होनी चाहिए, कहीं आनन्द अपनी सीमा का उल्लंघन करके उत्पात न बन जाए!

कैसियो : इआगो को इस सम्बन्ध में सारे आदेश दे दिए गए हैं, किन्तु फिर भी मैं स्वयं निरीक्षण करता रहूँगा।

ऑथेलो : इआगो बहुत ईमानदार है। अच्छा, गुडनाइट माइकिल! कल प्रातःकाल शीघ्रातिशीघ्र मैं तुमसे बातें करूँगा। (डैसडेमोंना से) चलो प्रिये!

अभी हमें अपने परिश्रम का फल प्राप्त करना है और वह आनन्द तो हमारे-तुम्हारे बीच का है। (कैसियो से) गुडनाइट!

(ऑथेलो, डैसडेमोना तथा सेवकों का प्रस्थान; इआगो का प्रवेश)

कैसियो : स्वागत इआगो! चलो, प्रहरियों का निरीक्षण कर आएँ!

इआगो : इस समय नहीं लेफ्टिनेण्ट! अभी तो दस भी नहीं बजे। डैसडेमोना के प्रेम के कारण ही हमारे जनरल ने समय से पूर्व ही हमें छोड़ दिया है-इसके लिए हमें दोष नहीं देना चाहिए। अभी तक उन्होंने उसके साथ रात्रि व्यतीत नहीं की है और फिर वह तो आनन्द-केलि का आधार ठहरी!

कैसियो : वह एक बहुत अच्छी महिला है।

इआगो : और सचमुच, कहते हैं वह बड़ी क्रीड़ातुरा भी है।

कैसियो : सच, वह बड़ी स्फूर्तिमती और मोहिनी है।

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